Private limited Company किसे कहते हैं (2022)जाने हिंदी में

 Private limited Company किसे कहते हैं (2022)जाने हिंदी में

दोस्तों आज हम आपको बताने जा रहे हैं प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (Private Limited Company) के बारे में,

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Private Limited Company किसे कहते हैं

“प्राइवेट लिमिटेड” जिस का हिंदी में अर्थ होता है निजी सीमित दायित्व वाली कंपनी , मतलब की ऐसी कंपनी जिसके दायित्व सीमित होते हैं।

कंपनी अधिनियम 2013 के अनुच्छेद 2(68) के अनुसार, ” एक निजी कंपनी (Private Company ) व कंपनी होती है जिसकी प्रदत पूंजी अंतर नियम द्वारा निर्धारित हो और जो – 

  1. अपने अंशो के हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाती हो।
  2. तथा जिस में सदस्यों की संख्या कम से कम दो और अधिकतम 200 तक सीमित रखती हो परंतु इस संख्या में निम्न को शामिल नहीं किया जाता।
  • ऐसे व्यक्ति जो कंपनी में कर्मचारी हों।
  • ऐसे व्यक्ति जो कंपनी में कर्मचारी रह चुके हों
  • और वे जो पहले कंपनी के कर्मचारी थे कर्मचारी रहते हुए भी कंपनी के सदस्य थे तथा सेवा समाप्ति के बाद भी कंपनी का सदस्य बने रहे, सदस्यों की संख्या में शामिल नहीं होंगे।

       3 .अपने अंश एवं ऋण पत्र तथा किसी भी तरह की प्रतिभूतियों को क्रय करने या किसी भी तरह के सदस्यता के लिए जनता पे प्रतिबंध लगाती हो।

       4 .तथा अपने सदस्यों,संचालकों, रिश्तेदारों के अलावा अन्य व्यक्तियों से जमा स्वीकार करने पे प्रतिबंध लगाती हो।

       5 . तथा जिसकी न्यूनतम भुगतान शेयर पूंजी ₹100000 रुपए या उससे अधिक हो।

अतः हम ये समझ सकते है की एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (private Limited Company) निजी तौर पर आयोजित की जाने वाली लघु व्यवसाय की एक इकाई है तथा कंपनी के सदस्यों की देयता सदस्यों द्वारा धारित शेरों की संख्या तक ही सीमित है।

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तथा एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ( Private Limited company ) कंपनी अधिनियम 2013 द्वारा शासित की जाति है।

और कंपनी के नाम के अंत में “private limited” शब्द का जुड़ा होना अनिवार्य है।

एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की शुरुआत करने के लिए आवश्यक शेयर धारक की संख्या कम से कम दो होने चाहिए जबकि सदस्यों की ऊपरी सीमा को कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार 200 बताया गया है।

कम्पनी अधिनियम 2013 के अनुच्छेद 3(1) के अनुसार “किसी वैधानिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए वैधानिक प्रक्रिया का पालन करके दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा निजी कंपनी का पंजीकरण कर उसकी स्थापना की जा सकती है।

अनुच्छेद 149(1) में दिए हुए प्रावधानों के अनुसार,” किसी भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (Private Limited Company) में कम से कम दो निदेशक मंडल / संचालक मंडल का रहना अनिवार्य होता है तथा कंपनी के दो सदस्य भी संचालक के रूप में नियुक्त किए जा सकते हैं। 

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (Private Limited Company) की विशेषताएं

सदस्यों की संख्या

कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार किसी भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना के लिए या रजिस्ट्रेशन के लिए न्यूनतम दो (2) सदस्य और अधिकतम 200 सदस्यों का होना अनिवार्य होता है।

सीमित दायित्वों का होना 

कंपनी अधिनियम में दिए हुए प्रावधानों या किसी भी निजी कंपनी में सदस्यों या अंशधारियों का दायित्व सीमित होता है अर्थात यदि किसी परिस्थिति में कंपनी को हानि का सामना करना पड़ता है इस स्थिति में कंपनी के सदस्यों के ऊपर अपनी व्यक्तिगत संपत्ति को बेचकर कंपनी का ऋण चुकाने का दायित्व नहीं होता है। 

अतः यह कह सकते हैं की सदस्यों की व्यक्तिगत संपत्ति पर जोखिम नहीं रहता है।

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अंशो के हस्तांतरण पर प्रतिबन्ध

निजी कंपनी की एक विशेषता यह भी है कि वहां अपने अंतर नियमों द्वारा अपने अंशो के हस्तांतरण पर रोक लगाती है। अन्य शब्दों में ये कह सकते हैं की निजी कंपनी अपने अंशो को सार्वजनिक कंपनी की तरह  स्वतंत्रता पूर्वक हस्तांतरण पर रोक लगाते हैं।

शाश्वत उत्तराधिकार का होना 

यदि किसी परिस्थिति में कंपनी के सर ऐसे की मृत्यु हो जाती है या वह दिवालिया हो जाता है तो कंपनी अधिनियम के अनुसार इस स्थिति में भी कंपनी का अस्तित्व स्थापित रहता है और ऐसे ही शाश्वत उत्तराधिकार कहा जाता है।

 



 

सदस्यों की सूची तैयार करना

कंपनी के द्वारा सदस्यों के सूचकांक के लिए सदस्यों की सूची तैयार की जाती है जिसमें सदस्यों के पंजीयन के पृष्ठ संख्या को आधार मानकर सदस्यों के विवरण की पृष्ठ संख्या दर्ज की जाति है ताकि सदस्यों की जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सके।

यदि कंपनी में सदस्यों की संख्या 50 से कम है तो इस स्थिति में सदस्यों की सूची बनाना अनिवार्य नहीं है।

संचालकों की संख्या कितनी होनी चाहिए

किसी भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कम से कम दो निदेशकों का होना जरूरी होता है जब कंपनी में दो निदेशक होंगे तो यह कंपनी अस्तित्व में आ सकती हैं तथा जिसका संचालन किया जा सकता है।

प्रविवरण (Prospectus) 

प्रविवरण को विस्तृत विलेख कहा जाता है जिसमें कंपनी के कारोबार से संबंधित सम्पूर्ण विस्तृत जानकारी लिखी रहती है यह कंपनी के द्वारा अपनी प्रतिभूतियों को क्या करवाने के लिए जनता को प्रेषित किया जाता है पर निजी कंपनी आम जनता को अपनी प्रतिभूतियों को क्रय करने के लिए आमंत्रण नहीं दे सकती है क्योंकि 2013 की धारा 2 (68) के अनुसार एक निजी कंपनी द्वारा अपने व्यवसाय के प्रतिभूतियों को क्रय करने हेतु जनता को आमंत्रण देने में प्रतिबंध होता है। अतः निजी कम्पनी का प्रविवरण तैयार करना अनिवार्य नहीं होता है।

Private limited company के लाभ 

सरलता से निर्माण

Private limited company को सार्वजनिक कंपनी की अपेक्षा सरल और सुविधाजनक तरीके से बनाया जा सकता है अर्थात ऐसी कंपनी का निर्माण कोई भी दो व्यक्ति मिलकर किसी वैध उद्देश्य की पूर्ति हेतु इसका निर्माण कर सकते हैं क्योंकि इसमें ज्यादा वैधानिक अड़चने नहीं आती हैं।

 



 

कंपनी का व्यापार आरंभ करने में सरलता

किसी भी निजी कंपनी को अपने व्यापार का शुरुआत करने में किसी भी विशेष प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना होता है।

निजी कंपनी को व्यापार प्रारंभ करने से पहले व्यापार प्रारंभ करने का कोई भी प्रमाण पत्र नहीं लेना होता है।

आपके बन समामेलन प्रमाण पत्र को प्राप्त करके ही अपने व्यापार की शुरुआत कर सकते हैं।

गोपनीयता बनाए रखना

एकांकी व्यापार की तरह ही निजी कंपनियों (Private Company) को भी अपने व्यापारिक लेन-देन को गोपनीय बनाए रखना चाहिए अर्थात उन्हें अपने व्यापारिक लेन-देन को गुप्त रखना चाहिए। निजी कंपनी में सदस्यों की संख्या सीमित होती है इसलिए इसमें गोपनीयता को बनाए रखना आसान होता है।

सहयोग और विश्वास का होना

एक प्राइवेट लिमिटेड (Private Limited Company)  कंपनी के सदस्यों में सहयोग और विश्वास की भावना अधिक रहती है क्योंकि यह एक दूसरे से व्यक्तिगत तौर पर भी परिचित होते हैं और अधिकतर एक ही परिवार के सदस्य होते हैं इसीलिए इनके अंदर सहयोग और विश्वास की भावना परस्पर पाई जाती है।

कार्य एवं प्रतिफल में संबंध

निजी कंपनी के अंदर कार्य तथा प्रतिफल में प्रत्यक्ष रूप से संबंध पाया जाता है। ऐसी कंपनी के सदस्य बहुत परिश्रमी एवं कर्तव्य परायण होते हैं। इन्हें इस बात का ज्ञान रहता है कंपनी को जो भी मुनाफा होगा वह इनको ही प्राप्त होगा और यही बात ऐसी कंपनी (Private Company) के सदस्यों को काम करने के लिए प्रेरित करती है।

मालिक तथा कर्मचारियों के बीच अच्छा संबंध

मेरी कंपनी में मालिक और कर्मचारियों के बीच प्रत्यक्ष घनिष्ठ संबंध होता है और इसी घनिष्ठता के कारण कर्मचारी अपने कार्य को और लगन और मेहनत से करने के लिए प्रेरित होते हैं। यदि कर्मचारी लगन और मेहनत से अपने काम को करेंगे और अपने मालिक के प्रति इमानदार रहेंगे तो इससे व्यवसाय बहुत तेजी से आगे बढ़ेगा और जल्द ही वह एक विकास के शिखर पर पहुंच जाएगा।

निजी कम्पनियों (Private Company) के मुख्य दोष

सुरक्षा की कमी

निजी कंपनी के अंदर शेयरधारकों के हितों की सुरक्षा में कमी पाई जाती है। क्योंकि इन पर कंपनी अधिनियम के कई सारे ऐसे महत्वपूर्ण प्रावधान है जो लागू नहीं होते हैं।

उदाहरण के तौर पर हमें कह सकते हैं कि संचालकों के कारण और पारिश्रमिक संबंधी प्रावधान के बीच किसी तरह का संबंध नहीं होता है।

आर्थिक साधनों का सीमित होना

कंपनी अधिनियम के अनुसार किसी भी निजी कंपनियों में सदस्यों की संख्या सीमित होती है इस कारण निजी कंपनी के आर्थिक साधन भी सीमित होते हैं जोकि किसी भी कंपनी को आगे बढ़ाने में अड़चन ला सकती है क्योंकि सीमित साधन के कारण कंपनी का विकास तेजी से नहीं हो पाता।

सार्वजनिक कम्पनियों को अधिक प्राथमिकता 

निजी कंपनी की अपेक्षा सरकार सार्वजनिक कंपनी को कोई भी सहायता देने में प्राथमिकता देती है और निजी कंपनियों को सहायता देने में कोताही करती है।

इस कारण निजी कंपनी (private Company) और उसके सदस्यों को कार्य करने में प्रेरणा नहीं मिलती है इसलिए कहा जाता है कि सार्वजनिक कंपनियों को राजकीय प्राथमिकता अधिक प्राप्त होती है।

विशेषाधिकार ( निजी कंपनी )

अब हम आपको निजी कंपनी (Private Company) के विशेषाधिकार के बारे में बताएंगे।

आज के समय में निजी कंपनियों के सदस्यों की संख्या में अच्छी वृद्धि हुई है इसका मुख्य कारण यह है कि निजी कंपनियों (Private Company) को कुछ विशेष प्रकार के अधिकार प्राप्त हुए हैं यह विशेषाधिकार कुछ इस प्रकार है –

  1. निजी कंपनी (Private Company) का प्रारंभ 2 सदस्यों के द्वारा किया जा सकता है।
  2. निजी कंपनी द्वारा अपने व्यापार को प्रारंभ करने के लिए किसी तरह के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होती है।
  3. ऐसी कंपनी को किसी तरह की वैधानिक बैठक या फिर वैधानिक रिपोर्ट, पंजीयन कार्यालय भेजना अनिवार्य नहीं होता है।
  4. निजी कंपनी में प्रथम संचालक की नियुक्ति करने के लिए विज्ञापन देना कोई अनिवार्य नहीं होता है।
  5. इस कंपनी को केवल स्थिति विवरण और ऑडिट रिपोर्ट ही रजिस्ट्रार कार्यालय में भेजनी होती है।
  6. ऐसी कंपनियों के अंतर्गत संचालकों को किसी भी प्रकार का रेट देने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है।
  7. ऐसी कंपनी में संचालकों को बार-बार आकाश लेना अनिवार्य नहीं होता।
  8. अधिकारियों की नियुक्ति लाभप्रद पदों पर कितने भी समय के लिए की जा सकती है।
  9. रजिस्टार के कार्यालय में प्रविवरण या स्थाननापन्न पत्र भेजना जरूरी नहीं होता।
  10. ऐसे व्यक्ति जो निजी कंपनी के शेयर को खरीदते हैं उनको निजी कंपनी द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जा सकती है।
  11. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसे कंपनियों में संचालकों को पक्षपात द्वारा बदलने में कोई भी सरकारी हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।
  12. निजी कंपनियों के अधिकारियों को जो पारिश्रमिक प्राप्त होती है उन पर कोई रोक नहीं होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

दोस्तों आज हमने आपको निजी कंपनी क्या होता है तथा इसकी क्या विशेषताएं हैं और निजी कंपनी को खोलने से क्या लाभ प्राप्त होते हैं और इनके दोष क्या है इन सभी का सविस्तार वर्णन किया है साथी हमने आपको यह भी बताया है कि निजी कंपनी में कंपनी अधिनियम कि क्या भूमिका है।

हमने कोशिश की है कि हम आपको निजी कंपनी से संबंधित हर एक तरह की जानकारी इस ब्लॉग में दे सकें अगर आपको निजी कंपनी से संबंधित और भी कोई जानकारी चाहिए तो हमें कमेंट में जरूर बताएं साथ ही इस ब्लॉग को लाइक करें और अपने दोस्तों रिश्तेदारों और आस – पड़ोस में शेयर करें।

धन्यवाद!

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