ROM किसे कहते हैं ? इसकी विशेषताएं और प्रकार अब हिंदी में (2022)

 ROM किसे कहते हैं ? इसकी विशेषताएं और प्रकार अब हिंदी में (2022)

यदि आप कंप्यूटर या किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक memory device का use करते हैं तो आपने ROM का नाम जरूर सुना होगा।दोस्तों आमतौर पर जब हम Read Only Memory जैसे टॉपिक पर बात करते हैं तो हम उसे सीधे अपने मोबाइल या फिर कम्प्यूटर के मेमोरी से जोड़ते हैं,  लेकिन क्या आपको पता है की Read Only Memory के बारे में और भी कई सारी ऐसी चीजे है जिसे आप नहीं जानते होंगे।

और यदि जानते होंगे तो ये और भी अच्छी बात है।पर जो लोग Read Only Memory के बारे में गहराई से नहीं जानते उनके लिए आज का हमारा ये आर्टिकल काफी मददगार साबित होगा।तो चलिए सुरू करते हैं, की Read Only Memory क्या है और यह कितने प्रकार का होता है।

ROM किसे कहते हैं ?

ROM का फुल फार्म Read Only Memory होता है। इसे रीड ओनली मेमोरी इसलिए कहते हैं, क्योंकि ये Data को Read करता है और एक chip के रूप में कम्प्यूटर के मदर बोर्ड (Motherboard)  में लगा होता है जो की डेटा को permanently store करने का काम करती है।इसका इस्तमाल हम अपने कंप्यूटर या मोबाइल फोन में ऑडियो, वीडियो, पिक्चर्स या और भी तरह के एप्लिकेशन और important Documents को स्टोर करने के लिए करते हैं।

Read Only Memory में एक बार प्रोग्रामिंग होने के बाद सिर्फ उसे रीड क्या जा सकता है उसे चेंज नहीं किया जा सकता।Read Only Memory एक Non Volatile Memory होती है, जैसे कि जब आप कंप्यूटर का इस्तमाल कर रहे होते हैं और अचानक से पावर सप्लाई बंद हो जाता है तो जो भी डाटा Read Only Memory में save/store होता है वो डाटा नही खतम होता है।इसे हम “परमानेंट स्टोरेज डिवाइस (Permanent Storage Device)” भी कह सकते हैं।

ROM “Read Only Memory” की विशेषताएं

  1. Read Only Memory, RAM से काफी सस्ती Chip होती है।
  2. Read Only Memory में जब एक बार डाटा program कर दिया जाता है उसके बाद उसे Re-Program नहीं किया जा सकता।
  3. इसमें पावर सप्लाई ऑफ होने के बाद भी आपका डाटा सुरक्षित रहता है।
  4. यह एक permanent storage device होती है।
  5. Read Only Memory, CPU का ही एक भाग होता है।

Read Only Memory किस तरह से काम करता है

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया है कि रोम चिप के आकार का होता है और यह सीपीयू के मदरबोर्ड मैं लगा हुआ होता है।Read Only Memory एक permanent storage device होता है जिसमें हम अपने सॉफ्टवेयर, एप्लीकेशंस, डॉक्यूमेंट, ऑडियो फाइल, वीडियो फाइल आदि को सेव कर सकते हैं। और हम इसे कभी भी एक्सेस कर सकते हैं।

Read Only Memory हमारे मोबाइल और कंप्यूटर के बुटिंग प्रोसेस करने और सिस्टम को स्टार्ट करने में मदद करता है। ये हमारे मोबाइल और कंप्यूटर का एक सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है जिसमे हम डाटा को सेव कर के रख सकते हैं, इसके बिना हम अपने मोबाइल फोन और कंप्यूटर के डाटा को सेव कर के नहीं रख सकते हैं, जब हम अपने मोबाइल फोन या कंप्यूटर में किसी एप्लीकेशन को use करते हैं।

तब Read Only Memory के द्वारा हम उस एप्लिकेशन का डाटा एक्सेस करते हैं फिर वो RAM के हेल्प से काम करना सुरू कर देता है और जब हम उस एप्लीकेशन को बंद कर देते हैं तो हमारा वो डाटा वापस से Read Only Memory में जाकर के स्टोर हो जाता है, और RAM से डाटा हट जाता है, हम अपने मोबाइल फोन या कंप्यूटर। में जितने भी video, application और image को download करते हैं या install करते हैं वो सब Read Only Memory में save रहते हैं।

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ROM कितने प्रकार के होते हैं?

दोस्तों Read Only Memory तीन प्रकार के होते हैं।

  1. PROM (Programmable read only memory)
  2. EPROM (Erasable Programmable read only memory)
  3. EEPROM (Electrical Erasable Programmable read only memory)

PROM किसे कहते हैं

दोस्तों PROM का पूरा नाम प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (Programmable read only memory) होता है, इसे One Time Programmable Chip संक्षिप्त में (OTP) कहते हैं। ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि इसमें डाटा को सिर्फ एक बारी प्रोग्राम या राइट कर सकते हैं दोबारा इस डाटा को इरेज़ नहीं किया जा सकता। एक बार डाटा प्रोग्राम हो जाने के बाद वह परमानेंट इसमें स्टोर हो जाता है।

Programmable read only memory में डाटा को प्रोग्राम या राइट करने के लिए जिस डिवाइस की जरूरत होती है उसे Programmable read only memory Burner कहते हैं। PROM BURNER का अविष्कार 1956 में WEN TSING CHOW द्वारा किया गया था। और जब PROM में डाटा राइट करते हैं तो इसे PROM BURNiNG कहते हैं। PROM का इस्तमाल डिजिटल डिवाइस में अपने डेटा को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है।

PROM की क्या विशेषताएं हैं

  • इसमें प्रोग्रामिंग केवल एक बारी की जा सकती है ।
  • सीआरटी मॉनिटर (CRT) में इसका यूज किया जाता है।
  • इस में PROM BURNER का इस्तमाल डाटा को इरेज़ करने के लिए किया जाता है।

EPROM किसे कहते हैं

EPROM को इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (Erasable Programmable read only memory) कहते हैं। 1971 में Dov Frohman-Bentchkowsky ने Programmable read only memory का अविष्कार किया था EPROM में डाटा को इरेज़ करने के लिए अल्ट्रा वायलेट लाइट (Ultra Violet Light) का प्रयोग किया जाता है।

इसमें डाटा को 30 से 40 बार अल्ट्रावॉयलेट लाइट से होकर गुजारना पड़ता है, इसमें डाटा को ई पी रोम (EPROM) इरेज़र द्वारा इरेज़ किया जाता है। इसका यूज हम पीसीओ, कंप्यूटर और टीवी ट्यूनर में कर सकते हैं और तो और इसमें हम लेजर की मदद से कभी भी प्रोग्राम को एडिट और डिलीट कर सकते हैं इसमें डाटा को रिप्रोग्राम करने के बाद कई सालों तक सुरक्षित रख सकते हैं।

Erasable Programmable read only memory की विशेषताएं

  • इस चिप की कीमत बहुत कम होती है या बाजार में काफी सस्ते दाम में मिल जाती है।
  • इसमें केवल दो बार ही Re Program किया जा सकता है।
  • Erasable Programmable read only memory में हम डेटा की टेस्टिंग और डिबगिंग कर सकते हैं।
  • जब हम कंप्यूटर का इस्तेमाल करते रहते हैं और अचानक से पावर ऑफ हो जाता है तो भी यह डाटा को बनाए रखता है।

EPROM की कमियां

  • इसकी एक कमी है कि इसमें डाटा को मिटाने के लिए ज्यादा बिजली की आवश्यकता होती है।
  • डाटा को मिटाने और  दोबारा प्रोग्राम शुरू करने के लिए कंप्यूटर से निकालना नहीं पड़ता है।
  • EPROM में रिप्रोग्राम की गति काफी धीमी होती है।
  • और जब Ultra Violet rays से डाटा को डिलीट किया जाता है तो इस चिप का पूरा ही डाटा डिलीट हो जाता है।
  • इसमें डाटा को इलेक्ट्रिकल सिगनल से नहीं हटाया जा सकता।
  • इसकी कीमत Programmable read only memory से ज्यादा होती है।

EEPROM किसे कहते हैं 

EEPROM का पूरा नाम इलेक्ट्रिकली इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (Electrically Erasable Programmable Read Only Memory) होता है। 1978 में George Perlegos ने किया था। ये एक नॉन वोलेटाइल (Non-volatile) चीप होती है। इसमें डाटा को इमेज करने के लिए इलेक्ट्रिकल चार्ज का प्रयोग करते हैं इसमें रिप्रोग्राम डाटा को 10 से 15 हजार बार इमेज किया जा सकता है।

और रिप्रोग्राम डाटा को हम 10 साल तक स्टोर करके भी रख सकते हैं। ये Programmable read only memory और Erasable Programmable read only memory की अपेक्षा काफी ज्यादा अच्छा होता है। इसे अपरिवर्तनशील मेमोरी भी कह सकते हैं क्योंकि इसमें डाटा को स्थाई रूप से रखा जा सकता है इसके स्थाई डाटा को इलेक्ट्रिकल सिग्नल के माध्यम से हटाया जा सकता है।

इस तरह के मेमोरी का प्रयोग हम डिजिटल कैमरा या mp3 प्लेयर में करते हैं।स्कोर हाइब्रिड मेमोरी भी कहते हैं क्योंकि यह राम के समान डाटा को रीड करता है और रोम की तरह डाटा को स्टोर करके रखता है संक्षिप्त में समझे तो यह रैम और रोम का एक मिश्रण है। EEPROM में प्रोग्राम करना काफी आसान होता है और इसमें खास बात यह होती है कि इसमें हम कई बार रिप्रोग्राम कर सकते हैं।

Electrically Erasable Programmable Read Only Memory की विशेषताएं

  • इसमें डाटा को कई बार रिप्रोग्राम कर सकते हैं।
  • इसमें प्रोग्रामिंग करना बहुत ही आसान होता है।
  • इसमें डाटा को इलेक्ट्रिकली मिटाया भी जा सकता है।
  • इसमें डाटा के 1 बाइट्स को भी हटाया जा सकता है।
  • इसमें डाटा को लगभग 10 साल तक सुरक्षित करके रख सकते हैं।

Electrically Erasable Programmable Read Only Memory की कमियां

  • यह बाकी मेमोरी (PROM, EPROM) की अपेक्षा काफी महंगी होती है।
  • इसमें डाटा को पढ़ने और लिखने के लिए कई तरह के वोल्टेज की आवश्यकता पड़ती है।

दोस्तों EEPROM दो प्रकार का होता है –

  1. Serial EEPROM
  2. Parallel EEPROM

निस्कर्ष (Conclusion)

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल में रीड ओनली मेमोरी यानी Read Only Memory से संबंधित सभी जानकारी देने की कोशिश की है और हमने आपको इसके प्रकार इसकी विशेषताएं और एक किस तरीके से काम करता है यह भी बताया है अगर आपको इस आर्टिकल से संबंधित और भी कोई जानकारी चाहिए तो मुझे कमेंट में जरूर बताएं।

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धन्यवाद!

 

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