A.P.J Abdul kalam biography || ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम का जीवन परिचय 2022

ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम का जीवन परिचय (A P J Abdul kalam biography)
ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम (A P J Abdul kalam) से सम्बंधित जानकारी संछिप्त में
नाम – डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम
जन्म – 15 अक्टूबर 1931
जन्म स्थान – रामेश्वरम, रमानाथपुरम जिला, ब्रिटिश राज (मौजूदा तमिलनाडु, भारत)
पिता का नाम – जैनुलाब्दीन मराकायर
माता का नाम – अशिअम्मा जैनुलाब्दीन
पेशा – नप्रोफेसर, लेखक, वैज्ञानिक एयरोस्पेस इंजीनियर
राष्ट्रपति काल – 2002-07
निधन – 27 जुलाई 2015 (उम्र 83) शिलोंग, मेघालय, भारत
अब्दुल कलाम का पुरा नाम
ए.पी.जे अब्दुल कलाम का पूरा नाम डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम।
शुरूआती जीवन
अब्दुल कलाम (Abdul kalam) का जन्म धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में 15 अक्टूबर 1931 को एक मुस्लिम अंसार परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था। वे ज़्यादा पढ़े-लिखे नही थे, और न ही ज्यादा पैसे वाले थे। इनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। अब्दुल कलाम का परिवार बहुत बड़ा था। इनके परिवार मे पाँच भाई एवं पाँच बहन थे। इनके घर मे कुल तीन परिवार था।
अब्दुल कलाम (Abdul kalam) अपने पिता के ज्यादा करीब थे। इनके पिता ज्यादा पढ़े-लिखे नही थे, लेकिन अब्दुल कलाम को हमेसा सही राह दिखाया। इनके पिता काफी मेहनती थे जिसका प्रभाव अब्दुल कलाम पर पड़ा। लेकिन 1920 के दशक तक, उनके परिवार ने उनका अधिकांश भाग खो दिया था; उनके व्यवसाय बंद हो गए और जब अब्दुल कलाम का जन्म हुआ तब तक वे गरीबी से गुजर रहे थे। परिवार की मदद के लिए कलाम ने कम उम्र में ही अखबार बेचना शुरू कर दिया था।
अब्दुल कलाम की शिक्षा
ए.पी.जे अब्दुल कलाम (Abdul kalam) ने अपनी शिक्षा 5 वर्ष की आयु में रामेश्वरम के पंचायत प्राथमिक विश्वविद्यालय में शुरू की थी.
अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए उन्होंने अखबार बांटने का कार्य भी किया था.
एपीजे अब्दुल कलाम ने 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की.
ग्रेजुएशन पूरी होने के बाद में हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिए उन्होंने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश लिया।
अब्दुल कलाम (Abdul kalam) का वैज्ञानिक और राजनितिक जीवन
1972 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े। 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट उन्होंने स्थापित किया। इस प्रकार भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया।
कलाम ने गाइडेड मिसाइल्स को डिजाइन किया। कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे। इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार परमाणु परीक्षण भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता हासिल की।
कलाम (Abdul kalam) ने भारत को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में बढ़ाने के लिए एक सोच प्रदान की। 1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान वापस निदेशक के तौर पर आये और उन्होंने अपना सारा ध्यान “गाइडेड मिसाइल” के विकास पर काम किया। अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय काफी कुछ उन्हीं को है।
अब्दुल कलाम 1988 में पहली पृथ्वी मिसाइल और फिर 1989 में अग्नि मिसाइल जैसी मिसाइलों का उत्पादन करके IGMDP की परियोजना सफल साबित हुई। उनके योगदान के कारण, उन्हें “भारत के मिसाइल मैन” के रूप में जाना जाता था।
जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ। इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई 2002 को कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया था और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। इनका कार्याकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ। वे भारत के 11वे राष्ट्रपति थे।
उन्होंने 2007 में दोबारा राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया।
इन्होंने तमिल भाषा में कविताऐं भी लिखी हैं। यह भी ज्ञात हुआ है कि दक्षिणी कोरिया में इनकी पुस्तकों की काफ़ी माँग है और वहाँ इन्हें बहुत अधिक पसंद किया जाता है।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पुरस्कार और उपलब्धियां
– 1981 में, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (Abdul kalam) को भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया.
– 1990 में, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
– 1997 में, भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
– 1998 में, वीर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
– 2000 में, अलवरस रिसर्च सेंटर, चेन्नई ने उन्हें रामानुजन पुरस्कार प्रदान किया.
– 2007 में, ब्रिटेन रॉयल सोसाइटी द्वारा किंग चार्ल्स द्वितीय मेडल से सम्मानित किया गया.
– 2008 में, उन्हें सिंगापुर के नान्यांग तकनीकी विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग की उपाधि प्रदान की गई थी.
– 2009 में, अमेरिका एएसएमई फाउंडेशन (ASME Foundation) द्वारा हूवर मेडल से सम्मानित किया गया
– 2010 में, वाटरलू विश्वविद्यालय ने डॉ. कलाम को डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग के साथ सम्मानित किया.
– 2011 में, वह आईईईई (IEEE) के मानद सदस्य बने.
– 2013 में, उन्हें राष्ट्रीय अंतरिक्ष सोसाइटी द्वारा वॉन ब्रौन पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
– 2014 में, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस उपाधि से नवाजा गया था.
– डॉ. कलाम (Abdul kalam) लगभग 40 विश्वविद्यालयों के मानद डॉक्टरेट के प्राप्तकर्ता थे.
– 201
5 में, संयुक्त राष्ट्र ने डॉ. कलाम के जन्मदिन को “विश्व छात्र दिवस” के रूप में मान्यता दी
एपीजे अब्दुल कलाम की बुक्स (APJ Abdul Kalam books )–
अब्दुल कलाम (Abdul kalam) की ये कुछ बुक्स, जिनकी रचना उन्होंने की थी:
- इंडिया 2020 – ए विशन फॉर दी न्यू मिलेनियम
- विंग्स ऑफ़ फायर – ऑटोबायोग्राफी
- इग्नाइटेड माइंड
- ए मेनिफेस्टो फॉर चेंज
- मिशन इंडिया
- इन्सपारिंग थोट
- माय जर्नी
- एडवांटेज इंडिया
- यू आर बोर्न टू ब्लॉसम
- दी लुमीनस स्पार्क
- रेइगनिटेड
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की मृत्यु (A.P.J. Abdul kalam death) –
27 जुलाई 2015 को शिलोंग गए थे. वहां शिलॉंग में एक फंक्शन के दौरान अब्दुल कलाम (Abdul kalam) साहब की तबियत ख़राब हो गई थी वे, वहां एक कॉलेज में बच्चों को लेक्चर दे रहे थे, तभी अचानक वे गिर पड़े. जिसके बाद उन्हें शिलोंग के हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया और उनकी स्थिती नाजुक होने के कारण उन्हें आई सी यू में एडमिट किया गया . जिसके बाद उन्होंने अपनी अंतिम साँसे ली और दुनिया को अलविदा कह दिया .इस दुखद खबर के बाद सात दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया . 84 वर्ष की आयु में उन्होंने दुनियाँ को अलविदा कह दिया .
मृत्यु के बाद 28 जुलाई को उन्हें गुवाहाटी से दिल्ली लाया गया, जहाँ उन्हें दिल्ली के घर में आम जनता के दर्शन के लिए रखा गया. यहाँ सभी बड़े नेता ने आकर उन्हें श्रधांजलि दी. इसके बाद उन्हें उनके गाँव एयर बस से ले जाया गया. 30 जुलाई 2015 को कलाम जी का अंतिम संस्कार उनके पैत्रक गाँव रामेश्वरम के पास हुआ।