गर्भपात हुआ गैरकानूनी – सुप्रीम कोर्ट (अमेरिका) Abortion made illegal – Supreme Court (USA) 2022

गर्भपात हुआ गैरकानूनी – सुप्रीम कोर्ट (अमेरिका)Abortion made illegal – Supreme Court (USA)
गर्भपात (Abortion) अर्थात माँ के गर्भ में ही बच्चे की हत्या। मनाव समाज इतना आधुनिक हो गया की गर्भ में हि इश्वर के सबसे अनमोल भेट को मारने चल दिया। शायद इससे बड़ा अपराध आधुनिक युग में शायद ही कोई होगा। ये कुछ परिस्थितियों में सही हो सकता है परन्तु ये इतना ज्यादा प्रचलन में अमेरिका जैसे आधुनिक देश में बढ़ गया की कुछ समुदाय ने गर्भपात को सवेधानिक सुरक्षा घेरे से बहार करने की मांग कर डाली।
आज अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है, और सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात (Abortion) को आब गैरकानूनी बना दिया है।
अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट का फैसला गर्भपात पर (US Supreme Court’s decision on abortion):-
अमेरिका में अब कोई भी महिला अब ना चाही गर्भवती होने पर गर्भपात (Abortion) नहीं करवा सकेगी। अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ये फैसला सुनते हुए 50 साल पहले जो कानून बना था उसे निरस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के उपरान्त अमेरिका की जनता में आक्रोश का माहौल है, और वे लोग वहां सड़कों पर इस आदेश के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है। ये देखते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने लोगों को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रहने को कहा है।
9 सदस्यों की बेंच ने सुनाया फैसला (Bench of 9 members gave the verdict):-
अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा की 50 साल पुराने ‘रो वी वेड’ कानून को पलट दिया है। अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने ये भी आदेश जारी किया है की अमेरिका में जितने राज्य है वो इस मुद्दे पर अपना कानून बना सकते है। आपको बता दें की अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट ने 9 सदस्यों ने मिलकर ये फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए गर्भपात पर दो आदेश (Supreme Court gave two orders on abortion):-
अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात (Abortion) को गैरकानूनी घोषित कर दिया। ये फैसला 9 सदस्यों ने मिलकर लिया। अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात (Abortion) मामले में दो आदेश दिए है वो है :-
- अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट अपने प्रथम आदेश में ‘मिसीसिप्पी कानून’ (Mississippi law) को बरकरार रखा है। जब रिपब्लिकन पार्टी सत्ता में थी तब ये कानून आया था। मिसीसिप्पी कानून (Mississippi law) में ये कहा गया था की कोई भी महिला जो प्रेगनेंसी के 15 सप्ताह गुजर जाने के बाद कोई भी महिला गर्भपात (Abortion) नहीं करवा सकती। ये फैसला 9 सदस्यों की बैठक में 6-3 की बहुमत से आया।
- अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने अपना दूसरा फैसला 50 साल पुराने गर्भपात के कानून पे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इतना पुराना कानून खारिज कर दिया। ये विवाद ‘रो वी वेड’ (Roe vs. Wade) जो की 5-4 की बहुमत से बना गर्भपात कानून उसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया।
John Roberts जो सुप्रीम कोर्ट के शेफ जस्टिस है वो अपने अलग फैसले में लिखते है की वे मिसीसिप्पी कानून के पक्ष में तो है की लेकिन उन्होंने ‘रो वी वेड’ केस में दिए गए गर्भपात के आधिकार के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सैमुअल अलिटो ने फैसला सुनते हुए कहा की “गर्भपात एक गहरा नैतिक मुद्दा प्रस्तुत करता है, जिस पर अमेरिकी तीव्र परस्पर विरोधी विचार रखते हैं। संविधान प्रत्येक राज्य के नागरिकों को गर्भपात को विनियमित करने या प्रतिबंधित करने से प्रतिबंधित नहीं करता है।“
50 साल पुराना कानून पलटा सुप्रीम कोर्ट ने (Supreme Court overturns 50 years old law):-
सुप्रीम कोर्ट ने आज गर्भपात पर फैसला देते हुए अपना 50 साल का कानून पलट दिया ये कानून था क्या आइये जानते है अमेरिका में गर्भपात के सम्बन्ध में 50 साल पहले कानून के बारे में। ये कानून है रो वी वेड के केस में आया था आपको इस केस के बारें में बताते है :-
- ये केस 1973 में आया था।
- इस केस का नाम रो बनाम वेड था।
- ये केस दायर करने वाली माहिला का नाम नॉर्मा मैककॉर्वी था।
- महिला का कहना था की वो दो बच्चों की माँ है और वो तीसरी बार प्रेग्नेंट हुई थी। उन्होंने अनचाही गर्भ धारण कर लिया था।
- उन महिला का कहना था की अब वो तीसरा बचा नहीं रखना चाहती। इसके लिए वो अपना गर्भपात करना चाहती है।
- नॉर्मा मैककॉर्वी ने इसके लिए अमेरिकी फ़ेडरल कोर्ट में याचिका डाली थी लेकिन कोर्ट ने उस याचिका को ख़ारिज कर दिया।
- जब नॉर्मा मैककॉर्वी अमेरिकी फेडरल कोर्ट से निराश हो गयी तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का फैसला किया।
- सुप्रीम कोर्ट में मामला बहुत लम्बा चला।
- इस मुक़दमे के दौरान आदलती कारवाही ने नॉर्मा मैककॉर्वी को ‘जेन रो’ का नाम दिया गया।
- इस मुकदमे में बचाव पक्ष के तौर पर तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी हेनरी वेड का नाम था।
- उस समय नॉर्मा मैककॉर्वी को गर्भपात करने की अनुमति नहीं मिली थी।
- अंत में सुप्रीम कोर्ट ने नॉर्मा मैककॉर्वी के पक्ष में अपना फैसला सुनाया।
- सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला देते हुए कहा की कोई भी महिला कब बच्चा पैदा करना चाहती है ये उसका निजी मसला है इसमें किसी और का हस्तक्षेप, या किसी और का डिसीजन नहीं हो सकता है।
- बच्चे के सम्बन्ध में कोई भी फैसला करने का अधिकार सिर्फ सिर्फ उस महिला का है अन्य किसी का नहीं।
- सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अमेरिका में महिलाओं को कानूनी गर्भपात का अधिकार प्राप्त हो गया था।
लेकिन शुक्रवार को आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने अमेरिका में बने इस कानून को निरस्त कर दिया है।
अमेरिका इस फैसले का में विरोध (America opposes this decision):-
अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने जब ये फैसला सुनाया की गर्भपात अब गैर कानूनी हो गया है। फैसला आने के कुछ ही देर बाद अमेरिका की जनता में आक्रोश पैदा हो गया, और लोग अपना वरोध जताने के लिए लोग सडको पे आ गया। अमेरिका की जनता का कहना है की ये फैसला उनकी निजता का हनन है।
हालात बिगढ़ते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने लोगों से कहाँ की आप सब शान्ति बनाये रखे। जो बाइडेन ने कहा की सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला की देश के प्रतिष्ठा को विपरीत दिशा में ले जायेगा, और देश को पीछे ले जाने का काम करेगा।
अमेरिका की न्यायपालिका दो खेमो में विभाजित (America’s judiciary divided into two camps):-
अमेरिका में भी कुछ लोग रूढिवादी सोच के शिकार है। अमेरिका में प्रमुख पार्टी रिपब्लिकन पार्टी, चर्च और रूढिवादी लोग शुरू से ही गर्भपात के कानून को निरस्त करने की मांग करते आये है।
दूसरी और डेमोक्रेटिक पार्टी के लोग शुरू से गर्भपात के कानून का समर्थन करते हुए आये है। अमेरिका की न्यायपालिका इन दोनों खेमो में विभाजित है। इसका उदाहरण शुक्रवार को कोर्ट के फैसले में पता चल गया।
अमेरिका में गर्भपात के मामलों में तेजी से वृद्धि (Rapid increase in abortion cases in America):-
हाल के दिनों में अमेररिका में गर्भपात के मामले में बढ़ोतरी देखी गयी है, की महिलाओं को गर्भपात करने की इजाजत दी जाये की नहीं। इस मुद्दे पर अमेरिका की जनता में आक्रोश की भावना है। गर्भपात की अधिकार की मांग करने हेतु कई लोगों ने अमेरिका के विभिन्न शहरों में प्रदर्शन किया की जिससे महिलाओं के लिए गर्भपात एक कानूनी विकल्प के रूप में बना रहे।
ये कानूनी हक़ सदैव बना रहे इसकी सुरक्षा के लिए लोगों ने लड़ाई करने का संकल्प भी लिया था। ये मुद्दा फैसला आने से पहले इसलिए गरम हो गया क्यूंकि सुप्रीम कोर्ट की राय जनता के सामने लीक हो गयी थी। उसमें ये सुझाव दिया गया था की जो कानून गर्भपात को वैध बनता है उसे पलट दिया जाये। 1973 के ‘रो वी वेड’ मामले में आये फैसले को पलट देने की बात कही गयी थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का ड्राफ्ट हुआ लीक (Draft of Supreme Court’s decision leaked):-
अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के गर्भपात को लेकर जो फैसला है उसका ड्राफ्ट फैसला आने से पहले ही लीक हो गया था। इसी के चलते अमेरिका में जगह जगह विरोध प्रदर्शन होने लगा। ड्राफ्ट लीक होने के पश्चात कई जगह महिलाओं का संगठन हरकत में आ गया और जगह जगह जोरदार प्रधान करने लगा।इन्होने बताया की सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे निजता का हनन है।
इसी बीच अमेरिका के राष्ट्रपति ने भी सुप्रीम कोर्ट फैसले का विरोध करते हुए कहा की ये महिलाओं के मौलिक अधिकार है की वो गर्भ रखना चाहती है या नहीं ओ उनके साथ क्या करती है ये उनका निजी मामला है।
हालाकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के चलते गर्भपात पूरी तरह से अवैध नहीं हुआ है। सुप्रीम कौर्त्कौर्त ने अपने फैसले में ये स्पष्ट किया है की अब राज्य ये फैसला ले की गर्भपात को कानूनी रखना है या गैर कानूनी रखना है।
हालाकि ये आशंका है की अमेरिका में अलबामा, जॉर्जिया, इंडियाना जैसे कुल 24 राज्य गर्भपात क अवैध घोषित करने वाले है।
हर चार में एक महिला कराती है गर्भपात (One woman in every four has an abortion):-
अमेरिका में गर्भपात बहुत प्रचलन में है। इस देश में गर्भपात को एक नियमित और सुरक्षित देखभाल प्रकिया मन जाता है। जिसका उपयोग यहाँ की तक़रीबन 25 प्रतिशत महिला आबादी करती है यानी हर चार में से 1 महिला गर्भपात करवाती है। 2021 में एक सर्वेक्षण हुआ था जिसमें 80 प्रतिशत अमेरिकी वस्सियों ने गर्भपात का समर्थन किया था। इसके अलावा 60 प्रतिशत लोगों ने रो बनाम वेड मामले में दिये गए फैसले की हिमायत की थी।
गर्भपात को लेकर करके भारत में क्या है नियम (What are the rules in India regarding abortion):-
भारत में गर्भपात को लेकर कोई कानून नहीं है, यहाँ गर्भपात बहुत ही जयादा जरूरी हो या फिर डॉक्टर कहे तभी हो सकता है। भारत और गर्भपात एक निश्चित समय सीमा और कुछ शर्तों के साथ हो सकता है।
भारत में गर्भपात करने हेतु शर्ते (Conditions for Abortion in India:-
- भारत में कोई भी पंजीकृत चिकित्सक गर्भपात (Abortion) किसी भी महिला का सकता है। महिला के अंदर जो भ्रूण है वो 12 सप्ताह से अधिक का न हो। जब गर्भपात (Abortion) करने की ठोस वजह होगी तभी ये संभव है जैसे की महिला को जान का खतरा हो सकता है, उसे शारीरिक या मानसिक स्वस्थ्य में गंभीर खतरा पहुचने की आशंका हो उस हालतमें गर्भपात किया जा सकता है। इन सब हालात में 24 सप्ताह के भीतर गर्भपात किया जा सकता है।
- नाबालिग महिला और रेप पीडितो के मामले में गर्भपात (Abortion) हो सकता है नुस शर्त ये है की भ्रूण 24 सप्ताह से अधिक का न हो। गर्भ का चिकित्सकिय संशोधन नियम 2021 (MTP Act) के अनुसार दिव्यांग और वे महिलाए जिनकी विवाहिक स्थिथी गर्भावस्था के दौरान बदल गयी हो वे भी गर्भपात (Abortion) करा सकती है।
MTP Act धारा (4) के तहत किसी भी महिला का गर्भपात करना कानून की नज़र में जुर्म है।
यदि गर्भवती महिला मानसिक रूप से कमजोर तथा उसकी उम्र 18 साल से कम है तो उसके अभिभावक के अनुमति जरूरी है।
भारत में गर्भपात हेतु सजा का प्रावधान (Provision of punishment for abortion in India):-
भारतीय दंड सहिंता की धरा-312 के अनुसार यदि गर्भपात (Abortion) करने का कोई ठोस कारण नहीं है तो चिकित्सक और गर्भपात करने वाली महिला दोनों को अपराधी समझा जायेगा और उन्हें 3 साल की जेल की सजा सुनाई जाएगी।
अगर गर्भपात (Abortion) महिला के इच्छा के बैगैर हुआ है तो दोषियों को 10 साल या फिर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
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