गोरखनाथ मंदिर के एक साधारण से कमरे में रहते हैं सीएम योगी,

व्यवस्था को छोड़, कुछ नहीं बदला” गोरखनाथ मंदिर के एक साधारण से कमरे में रहते हैं सीएम योगी, यहां सुरक्षा व्यवस्था को छोड़, कुछ नहीं बदला
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती योगी आदित्यनाथ के गोरखनाथ मंदिर स्थित जिस आवास को ‘बड़ा बंगला’ बता रहीं हैं, गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ उसके एक बेहद साधारण से कमरे में रहते हैं। कमरे में न एसी है, न कूलर, न बड़े-बड़े बेड और ना ही सुविधा के तमाम सामान। लेटने के लिए आज भी वही तख्त है, जिस पर वे मुख्यमंत्री बनने से पूर्व लेटते थे। मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी कहते हैं कि मुख्यमंत्री बनने के बाद मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को छोड़ दें तो यहां अब भी कुछ नहीं बदला है। सब कुछ पहले ही जैसा है।
गोरक्षपीठ में श्रद्धा रखने वालों ने मायावती के बयान पर सोमवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मंदिर प्रबंधन से जुड़ेे वीरेंद्र सिंह ने कहा कि मायावती केवल सामाजिक समरसता की बात करती हैं, मंदिर में योगी के बाद सबसे प्रमुख चेहरा, मंदिर के मुख्य पुजारी कमलनाथ अनुसूचित जाति के हैं। वही पूजा-पाठ करते हैं। अगर देश में गोरखनाथ मंदिर जैसे बंगले हो जाएं तो देश का कल्याण हो जाए।
महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ प्रदीप राव कहते हैं कि गोरखनाथ मंदिर नाथ संप्रदाय का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। इसके अनुयायी देश ही नहीं, पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। पूरा मंदिर परिसर 54 एकड़ में फैला है, लेकिन इसमें मंदिर के अलावा गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय, आयुर्वेदिक अस्पताल एवं संस्कृत महाविद्यालय भी संचालित है। अध्ययन करने वाले बच्चों के छात्रावास हैं। उनके भोजन, रहने, कपड़े का इंतजाम मंदिर प्रबंधन करता है। शिक्षा का बड़ा केंद्र भी है।
ये था बसपा सुप्रीमो मायावती का ट्वीट: शायद पश्चिमी यूपी की जनता को यह मालूम नहीं है कि गोरखपुर में योगी जी का बना मठ है, जहां वो अधिकांश समय निवास करते हैं। वो कोई बड़े बंगले से कम नहीं है। यदि इस बारे में भी यह बता देते तो बेहतर होता।
सीएम योगी ने कू करते हुए लिखा कि
मुख्यमंत्री का जहां आवास है, वह दो मंजिला भवन बहुत ही पुराना है। भवन के ऊपरी तल पर मुख्यमंत्री का आवास है। आवास के बगल में एक छोटा सा मंदिर है। उसे शक्ति पीठ कहा जाता है। वह मां दुर्गा का मंदिर है। सीएम आवास के अलावा दो कमरे हैं। इनमें चौकी बिछी रहती है। योगी जब तक पीठाधीश्वर नही हुए थे, तब तक उसी कक्ष में चौकी पर सोते थे। अवेद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद उनके आवास में रहने लगे। जो एक सामान्य कक्ष है। उनके कमरे में एसी नहीं है।
नीचे एक बड़ा सा हाल है। इसमें दशहरा, खिचड़ी पर कार्यक्रम का आयोजन होता है। उसके बगल में दूसरा हॉल है, जो छोटा है। इसी हॉल में कार्यालय चलता है। मंदिर के कई कर्मचारी वहां पर बैठे रहते हैं। पास ही लाल कक्ष है। योगी जब सांसद थे, तब भी वहीं बैठक, मुलाकात करते थे। यह सिलसिला मुख्यमंत्री बनने के बाद तक जारी है। कार्यालय के पीछे एक सोफाकक्ष है। योगी पहले और अब भी विशेष मेहमानों से वहीं मिलते हैं।
लगभग पांच सौ छात्र संस्कृत की शिक्षा करते हैं गृहण
गोरक्षनाथ मंदिर में चलने वाले संस्कृत महाविद्यालय में कक्षा नौ से लेकर परा स्नातक की शिक्षा दी जाती है। महाविद्यालय में पढ़ाने वाले बृजेशमणि मिश्र कहते हैं कि यहां छात्रों को रहने, खाने , वस्त्र की सुविधा मुफ्त दी जाती है। इन छात्रों को पढ़ाई के अलावा संस्कार भी दिए जाते हैं। सभी छात्र सुबह उठ कर स्नान ध्यान के बाद पूजा पाठ और प्रार्थना करते हैं।
एक हजार लोग रोज करते हैं भोजन
गोरखनाथ मंदिर में प्रति दिन एक हजार लोगों का भोजन पकता है। विद्यालय के छात्रों के अलावा मंदिर के करीब 250 कर्मचारी भी हैं। इसके अलावा वहां पर जो भी पहुंचता है, वह भोजन ले सकता है। मंदिर की तरफ से यह निर्देश है कि वहां पर जो भी गया उसे भोजन कराया जाएगा।
मंदिर में है गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय
गोरक्षनाथ मंदिर परिसर में गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय है। इस चिकित्सालय में शहर के प्रतिष्ठित चिकित्सक अपनी सेवाएं देते हैं। यह व्यवस्था योगी के सीएम बनने से पहले की है। इसकी खास बात यह है कि जो चिकित्सक शहर में 800 रुपये फीस लेते हैं, वे गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय में 30 रुपये लेते हैं। अस्पताल के डॉ सीएम सिन्हा कहते हैं कि जांच से लेकर हर प्रकार की चिकित्सकीय सुविधाएं काफी सस्ती है। इस नाते यहां, हमेशा भारी भीड़ रहती है। यहां पर हर वर्ग और समुदाय के लोग इलाज कराने आते हैं।
मंदिर में धर्मशाला व यात्री निवास
मंदिर परिसर में यात्री निवास और धर्मशाला भी है। दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के रुकने की व्यवस्था वहां होती है। बहुत से लोग शादी शहर से करते हैं तो उनको सस्ते में कमरा उपलब्ध कराया जाता है।
मंदिर में चार सौ गाएं
वर्तमान में मंदिर में चार सौ गाए हैं। यहां पर उन्हें गो सेवा के लिए रखा गया है। मंदिर की व्यवस्था है कि जितना जरूरत दूध का होता है उतना ही दूध निकाला जाता है। बाकी बछड़ों को पीने के लिए छोड़ दिया जाता है।
मंदिर के मुख्य पुजारी हैं अनुसूचित जाति के
हाल ही में मुख्यमंत्री के अनुसूचित जाति के परिवार के घर भोजन करने पर विपक्ष के नेताओं ने राजनीतिक शिगूफा करार दिया था। लेकिन, सच्चाई इससे इतर है। डीवीएन पीजी कॉलेज से सेवानिवृत्त डॉ शैलेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि गोरक्षपीठ सामाजिक समरसता की प्रतीक है। योगी वही करते हैं, जो उनके गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ करते थे। अवेद्यनाथ ने छूआछूत के खिलाफ अभियान देश भर में चलाया। दक्षिण भारत के मीनाक्षीपुरम में जब अनुसूचित जाति के; लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी तो वहां जाकर धरना दिया था, फिर मंदिर में उनका प्रवेश कराया। संतों के साथ वाराणसी में डोम राजा के घर भोजन किया। गोरखनाथ मंदिर के मुख्यपुजारी अनुसूचित जाति के हैं।