CUET 2022 पैटर्न से किस तरह के बच्चों को होगा सबसे ज्यादा फायदा।

CUET 2022 पैटर्न से किस तरह के बच्चों को होगा सबसे ज्यादा फायदा। CUET 2022 पर एक्सपर्ट जितिन चावला ने बताया कि ऐसे बहुत सारे बच्चों को फायदा होगा, जिनका जीवन कोरोना ने पूरी तरह बदल कर रख दिया. कई बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने अपने पिता को खोया या फिर दोनों पैरेंट्स को खो दिया.
हो सकता है कि ऐसे बच्चे भी काबिल हों, लेकिन माहौल ना मिलने से उनके नंबर बहुत अच्छे नहीं आ पाए तो क्या उन्हें अच्छी शिक्षा का हक नहीं. CUET ऐसे बच्चों को भी उनका अधिकार दिलाएगा.
अब केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एडमिशन कट ऑफ के आधार पर नहीं, बल्कि एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के तहत होगा. इसके पहले अमूमन यह देखा जा रहा था कि ऐसे बहुत सारे बच्चे जिनका 12वीं में पर्सेंटेज 99 फीसदी से नीचे होता था, उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिलना बहुत मुश्किल हो जाता था.
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ऐसे में अक्सर कई बच्चे जिन्होंने बहुत मेहनत की होती है, उनके हाथ भी निराशा लगती थी लेकिन अब यूजीसी ने उनके लिए भी रास्ता खोल दिया है. हमने यह समझने की कोशिश की कि इस निर्णय से क्या मेहनती बच्चों को कोई नुकसान हो सकता है? साथ ही इससे सबसे ज्यादा फायदा किस तरह के बच्चों को होगा. हमने मशहूर करियर काउंसलर जितिन चावला से बात की.
‘कम पर्सेंटेज काबिलियत का पैमाना नहीं’
जितिन चावला कहते हैं कि अमूमन जीवन में तरक्की के लिए किसी इंसान की क्या-क्या खासियत होनी चाहिए- आत्मविश्वास, पब्लिक स्पीकिंग और नॉलेज. लेकिन हमारा एजुकेशन सिस्टम और पैरेंटिंग अब तक ऐसी रही है जो बच्चों को सिर्फ यह सिखाती है कि अगर सफल होना है।
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तो अच्छे मार्क्स लेकर आओ. कई ऐसे बच्चे जो 99 या 100 पर्सेंट नहीं ला पा रहे थे. वह दिल्ली के अच्छे कॉलेजों में दाखिला नहीं ले पाते थे. सिर्फ दिल्ली छोड़िए, ऐसे छोटे-छोटे शहर जहां के कई बच्चे सिर्फ पर्सेंटेज की वजह से दिल्ली के अच्छे कॉलेज में नहीं पहुंच पा रहे थे, अब उनको इस कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के जरिए मौका मिलेगा. एक्सपर्ट कहते हैं कि मेहनती बच्चों को इससे कोई नुकसान नहीं है, उनके पास तो खोने के लिए कुछ था ही नहीं वो जहां थे वहीं रहेंगे.
कोरोना में जिन बच्चों की जिंदगी बदल गई उनके लिए अच्छा अवसर’
जितिन चावला कहते हैं कि ऐसे बहुत सारे बच्चों को फायदा होगा जिनका जीवन कोरोना ने पूरी तरह बदल कर रख दिया. कई बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने अपने पिता को खोया या फिर दोनों पैरेंट्स को खो दिया. कई बच्चे ऐसे भी रहे जिनके माता या पिता की कोरोना में नौकरी चली गई या फिर उन्हें कम पैसों में काम करना पड़ा जिसके चलते उन बच्चों की शिक्षा पर भी बुरा असर पड़ा.
अब जिस बच्चे ने ये सब कुछ देखा होगा उसकी मानसिक स्थिति को समझिए. हो सकता है कि ऐसे बच्चे भी काबिल हों, लेकिन माहौल ना मिलने से उनके नंबर बहुत अच्छे नहीं आ पाए तो क्या उन्हें अच्छी शिक्षा का हक नहीं. सीयूसेट ऐसे बच्चों को भी उनका अधिकार दिलाएगी.
पिछड़े बोर्ड के अच्छे बच्चों को मिलेगा मौका
जितिन चावला कहते हैं कि देश में ऐसे कई अलग-अलग बोर्ड है कई बोर्ड राज्यों के हिसाब से हैं. इन बोर्ड की मार्किंग और पढ़ाई बिल्कुल अलग तरीके से होती है. यूपी बिहार या फिर दूसरे राज्यों के बच्चे दिल्ली के बच्चों के साथ कंपटीशन नहीं कर पाते, ऐसे में उन्हें भी राजधानी के अच्छे कॉलेज में पढ़ने का मौका नहीं मिलता लेकिन अब इस कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के जरिए सभी बच्चों को बराबरी का मौका मिलेगा. सीयूसेट का एग्जाम 12वीं की पढ़ाई के आधार पर लिया जाएगा जिसमें बेसिक सवाल होंगे.