अमेरिका में मंडराया आर्थिक संकट जाने कब कब आया आर्थिक अमेरिका में अर्थिक संकट (When did the economic crisis loomed in America, when did the economic crisis in America come?) 2022

 अमेरिका में मंडराया आर्थिक संकट  जाने कब कब आया आर्थिक अमेरिका में अर्थिक संकट  (When did the economic crisis loomed in America, when did the economic crisis in America come?) 2022

अमेरिका में मंडराया आर्थिक संकट (economic crisis in america)– विशेषज्ञ

पिछले दो वर्ष से दुनिया भर की आर्थिक (economic) गतिविधि महामारी के कारण अस्त व्यस्त हो गयी है । महामारी 2020 से 2021 तक रही । इस दोरान पूरी दुनिया की आर्थिक (economic) गतिविधि पे मानो ताला लग गया ।  कोरोना संक्रमण इतना घटक था की सरकार को मजबूर होकर लॉकडाउन अर्ताथ तालाबंदी  का फैसला लेना पड़ा । 

कोरोना संक्रमण दर इतनी तेजी से फ़ैल रहा था की लोगों को मास्क पहनने और दो गज दुरी रखने को कहा गया । इसीके चलते साड़ी दुकाने , माल्स, सिनेमाघर , पर ताला लगा दिया गया । सिर्फ अति आवश्यक और जीवन यापन करने हेतु समान बाज़ार में बिक्री हेतु उपलब्ध थे ।

महामारी के कारण आर्थिक (economic) स्तिथि इतनी जयादा ख़राब हो गयी की इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) पर भी पड़ा । इसी संकट से दुनिया अभी ठीक से उभरी भी नहीं थी रूस और यूक्रेन के युद्ध ने आग में घी डालने का काम कर दिया ।

बांड बाज़ार की चेतावनी  :- आर्थिक संकट है करीब  (Bond market warning :- economic crisis is near)

बांड बाज़ार की आज तक  60 वर्षो से लगातार कोई भी भविष्यवाणी असत्य साबित नहीं हुई है। ये हमेशा से बाज़ार को लेकर सटीक भविष्यवाणी करते आया है । अब ये अर्थव्यवस्था को लेकर संकेत दे रहा है। यूएस ट्रेज़री नोट यील्ड कर्व (US treasury note yield cuve) उल्टा हो गया जो की एक अच्छा संकेत नहीं है । जब यूएस ट्रेज़री नोट यील्ड कर्व नीचे होता है तो यह संकेत देता है की निवेशक लम्बी अवधी से ज्यादा छोटी अवधी वाले बांड्स से घबराये हुए है । 

ब्याज दरें शोर्ट टर्म्स बांड पे लगातार बढती जा रही है । हालाकि की कर्व अभी तक पूर्णतया उल्टा नहीं हुआ है पर उल्टा होने के काफी नजदीक है । ट्रेज़री नोट्स निवेशकों के लिए काफी सुरक्षित माना जाता है । यहाँ पर निवेशक अगर लोन की राशि का पुनर्भुगतान होने का जोखिम कम रहता है । ट्रेज़री नोट्स अमेरिकी सरकार के लिए भी बहुत आवश्यक लोन है ।

बांड मार्केट में बढ़ रहा है नेवेश्कों का रुझान :- (The trend of investors is increasing in the bond market)

कमजोर आर्थिक (economic) और भू राजनितिक तनाव के कारण पिछले दो हफ़्तों से सरकारी बांड्स के ब्याज में उछाल का बाढ़ आया है । यूएस केंद्रीय बैंक फेडरल रिज़र्व ने ये कहा था की वह इस साल 2022 में छह बार बढ़ोतरी कर सकते है । इस बयान के बाद से निवेशक अपना शेयर मार्किट जो की हमेशा से जोखिम भरा और अस्थिर निवेश रहा है उससे अपने रुझान को ट्रेज़री नोट्स के प्रति कर रहे है जो एक सुरक्षा की दृष्टि से अच्छा विकल्प है।

परन्तु जब लोग अधिक संख्या में बांड को छोड़ कर जाते है तो इस कारण यील्ड कर्वे नीचे गिरने लगता है , और यह एक एक कम रुझान वाला विकल्प बन के रह जाता है । बिटकॉइन हमेशा से बांड की तुलना में कम स्तिरथा प्रदान करता है,  कुछ निवेशकों का ध्यान इस ओर भी जा रहा है ।

लम्बी अवधी के बांड देते है अधिक रिटर्न :- (Long term bonds give higher returns)

लम्बी अवधी उसे कहते है जो बांड या ट्रेज़री दस साल से अधिक का लिया हो । आमतोर पर दस साल निवेश अगर ट्रेज़री पे किया जाए तो हमें बांड के तुलना में अधिक रिटर्न मिलता है । इसका सबसे बड़ा कारण है लम्बे समय तक निवेश । जब निवेशक का धन लम्बे समय तक जमा रहता है ।

दो या तीन साल की अवधि वाले ट्रेज़री नोट लम्बे समय की तुलना कम रिटर्न देते है। और इसका मुख्य कारण है की लम्बे समय की तुलना में शोर्ट टर्म में पहले जोखिम का अनुमान लग जाता है । परन्तु जब 10 साल के नोट पर रिटर्न दो साल से कम आता है तो यह निवेशकों को बहुत निराश कर देता है ।

पहले भी मंदी का संकेत दिया है यील्ड कर्व का उल्टा होना :- (Reversal of yield curve has indicated bearish earlier also)

कर्व का उल्टा होना निवेशकों के लिए एक चेतावनी है । इसका ये मतलब तो नहीं की स्टॉक की कीमत पूरी तरह समाप्त हो जाएगी । बल्कि इसका ये मतलब है की आने वाले 12 महीनो में मंदी आने की संभावना बहुत तेज़ है । कई बार इसमें कुछ सैलून लग जाते है । फेडरल रिज़र्व बैंक ऑफ़ सैन फ्रांसिस्को के शोध के अनुसार 1955 के बाद से जो भी मंदी आई है, हर मंदी से पहले एक यील्ड कर्व उल्टा हुआ है । इसी तरह साल 2005 में यील्ड कर्व उल्टा हुआ था परन्तु मंदी दो साल बाद 2007 में शरू हुई थी।

इसी तरह 2019 में कर्व उल्टा हुआ था और मंदी 2020 में शुरू हुई थी लेकिन इसका मुख्या कारण कोरोना वायरस महामारी के कारण जो तालाबंदी मतलब लॉकडाउन हुआ उसके वजह से था । कई एक्सपर्ट्स का मानना है की मंदी बहुत जल्द आ सकती  है ।  क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुख्य अर्थशास्त्री Mark Zandi के अनुसार अगले 12 महीनों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था (economic) में मंदी आने की संभावना का अनुपात 1:3 है ।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाईडन ने क्या कहा ….? (What did US President Joe Biden say..?)

अर्थव्यवस्था और मंदी पर जो बाईडन ने टोक्यो के पत्रकारो से बात करते हुए कहा की अमेरिका में मंदी आती-जाती रहती है लेकिन इसका दर्द कुछ समय तक रहेगा. उन्होंने बताया कि अमेरिका में मौजूदा हालात आंशिक रूप से यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण पैदा हुए हैं लेकिन पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि मंदी आने वाली है।

उन्होंने टोक्यो में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्वीकार किया है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में समस्याएं हैं लेकिन दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं. उन्होंने कहा कि जो समस्याएं हमारे यहां हैं वही समस्याएं बाकी दुनिया में भी हैं लेकिन बाकी दुनिया को देखें तो हमारे यहां बेहतर स्थिति है और इसका असर कम है।

उन्होंने स्वीकार किया कि अमेरिकी परिवारों पर आपूर्ति में कमी और उच्च ऊर्जा कीमतों का असर पड़ रहा है. बाइडेन ने कहा कि उनकी सरकार अमेरिकी उपभोक्ताओं की तकलीफ कम करने के लिए काम कर रही है। लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि तत्काल समाधान होने की उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा कि हालात ठीक होने में कुछ वक्त लगेगा ।

क्या अमेरिका में जाएँगी नौकरियाँ …? (Will jobs go to America…?)

80 प्रितिशत नागरिकों को लगता है  की इस साल अमेरिका में रिसेशन लौट सकता है । मोमेंटिव कंपनी ने एक सर्वे किया जिसमें 4000 लोगों ने भाग लिया और अपनी राय दी । इससे ये सामने आया की लोग रिसेशन का अनुमान दूसरों से अधिक लगा रहे है । 

इस सर्वे के अनुसार रिपब्लिकन पार्टी के 91 प्रतिशत लोग इस बात की आशंका लगा रहे है की आगे जा के मंदी आ सकती है । जो लोग आर्थिक (economic) तंगी से गुज़र रहे है उनमें 88 प्रतिशत लोगों का कहना है की मंदी अमेरिका में वापस आएगी ।

इससे पहले भी 12 बार आर्थिक (economic) मंदी से गुज़र चूका है अमेरिका :-

जब दूसरा विश्वयुद्ध अम्पाट हुआ उसके बाद से अमेरिका ने कई आर्थिक (economic) मंदी का सामना किया । अमेरिका के मंडियों का विस्तार से चर्चा निम्न है :-

1945:- पहली आर्थिक मंदी  (First economic recession)

दुसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका ने अपने युद्ध उत्पादन सेक्टर के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया था । जब जापान ने जर्मनी के सामने 1945 में आत्मसमपर्ण कर दिया तो पूरा निवेश फीका पढ़ गया अर्थव्यवस्था चकनाचूर हो गयी जीडीपी में 11 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी । बेरोज़गारी दर 1.6 प्रतिशत  रही और इस मंदी से उबरने में अनुमान से कम महज़ 8 महीने लगे ।

1948-49:- दूसरी आर्थिक मंदी (Second economic recession)

जब विश्वयुद्ध समाप्त होते ही , जीवन धीरे धीरे सामन्य होने लगा । तब अमेरिका ने दिल खोल कर खर्चा किया। अमेरीका ने 1945 से 1949 तक पानी की तरह पैसा बहाया । अमेरिका वासियों ने 2 करोड़ फ्रिज  2.14 करोड़ कारें और तक़रीबन 55 लाख स्टोव खरीदें । इसका परिणाम ये हुआ की जीडीपी 2 प्रतिशत तक गिर गयी और अक्टूबर महीने में बेरोज़गारी दर 7.9 प्रतिशत रही ।

1953-54:- तीसरी आर्थिक  मंदी (Third economic recession)

फेडरल रिज़र्व की वित्तीय नीतियों के चलते अमेरिका ने तीसरी मंदी का सामना किया । जब दुसरे विश्वयुद्ध के बाद हुआ था उसी तरह कोरियाई युद्ध के बाद भी हुआ । अमेरिका ने जो युद्ध पे निवेश किया था वो शुष्क पढ़ गया । और 10 महीने मंदी की दौर में जीडीपी 2.2 प्रितिशत की गिरावट के साथ दर्ज हुई  ।

1957-58 :- चौथी आर्थिक  मंदी (Forth economic recession)

एशियन फ्लू महामारी इसका सबसे ज्यादा प्रमुख कारण थी । ये महामारी हांगकांग से शुरू होकर भारत होते हुए अमेरिका पहुची और धीरे धीरे वैश्विक मंदी का दौर आरम्भ हो गया । इस मंदी से उभरने हेतु बार फ्रेड ने ब्याज दरें बढ़ा दी जिससे ग्राहक में असंतोष की भावना उत्पन्न हुई और अमेरिका को 8 महीनो के लिए आर्थिक (economic) मंदी का सामना करना पड़ा । जीडीपी में 3.3 प्रतिशत की गिरावट और बेरोजगारी दर 6.2 प्रतिशत दर्ज हुई । कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर पे निवेश के बदौलत इस मंदी से निजात मिल गयी।

1960-61 :- पांचवी आर्थिक  मंदी  (Fifth economic recession)

इस मंदी का कारण यह था की विधेशी सामानों की बिक्री ज्यादा होने की वजह से विदेशी बाज़ार में तेज़ी आई जिसकी वजह से अमेरिकी उद्योग खासकर आटोमोबाइल सेक्टर ‘रोलिंग एडजस्टमेंट पर गईं जिससे लाभ कुछ समय के लिए घटा, और फ्रेड ने फिर से ब्याज दरें बड़ा दी ।  10 महीने की इस मंदी में बेरोज़गारी दर 7 प्रतिशत रही  जबकि जीडीपी 2.4 प्रतिशत टूटी । 

1969- 70:- छटवी आर्थिक  मंदी (Sixth economic recession)

लगतार कुछ सालों से मंदी का दौर देखते देखते महंगाई दर में 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसको देखते हुए फ्रेड ने एक बार फिर ब्याज दर में वृद्धि कर दी इसके वजह से फिर से मंदी का दौर चालू हुआ। लेकिन मंदी इस करीब साल भर चली परन्तु ये खतरनाक नहीं थी । बेरोजगारी दर 5.5 प्रतिशत रही जबकि जीडीपी में 0.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी । जब 1970 में फ्रेड ने ब्याज दरें कम की तब अर्थव्यवस्था पटरी पे लौटी ।

1973-75:- सातवी आर्थिक  मंदी (Seventh economic recession)

यह मंदी काफी लम्बे समय तक अमेरिका में रही । ओपेक तेल निर्यात करने वाली अरब देशो के व्यापारिक अवरोध के चलते अमेरिका में उर्जा संकट उत्पन्न हो गया । इसी वक़्त अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन ने महंगाई पर लगाम लगाने हेतु वस्तुओं के मूल्य निर्धारण करने का निश्चय किया ।

जिसके कारण उद्योग जगत ने कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त करना शुरू किया । और देखते ही देखते इसके वजह से मुद्रस्फीति हुई और उससे मंदी का जन्म हुआ और अगले पांच तिमाही पर इसका ख़राब असर रहा । 16 महीनो के मंदी के बाद जीडीपी दर 3.4 प्रतिशत गिरी और बेरोजगारी दर 8.8 प्रतिशत तक पहुच गयी ।

1980:- आठवी आर्थिक  मंदी Eighth economic recession) 

इस मंदी का मुख्य कारण था तेल । दरअसल ईरानी क्रांति के चलते दुनिया में तेल इ मांग बड़ी और उसकी कीमत आसमान छु गयी जिसके वजह से अमेरिका को एक और मंदी क सामना करना पड़ा । महंगाई दर 13.5 प्रतिशत बड़ी तो फ्रेड ने ब्याज दर में भी वृद्धि कर दी । ये मंदी छह महीनो तक रही जीडीपी 11 प्रतिशत गिरी और बेरोज़गारी दर 7.8 प्रतिशत रही।

1981-1982 :- नौवी आर्थिक  मंदी  (Ninth economic recession)

इस मंदी को डबल डीप मंदी के नाम से जाना जाता है क्यूंकि ये 1980 मंदी के तुरंत बाद आई । यह मंदी तेल संकट के कारण आई ऐसा एक दशक में तीसरी बार हुआ । फ्रेड ने कठोरता पूर्वक ब्याज दरें 21.5 प्रितिशत तक बड़ा दी । जीडीपी में 3.6 प्रितिशत की गिरावट आई और बेरोजगारी दर 10 प्रतिशत तक बड़ा ।

1990-91:- दसवी आर्थिक  मंदी (Tenth economic recession)

1980 के दशक में कई क़र्ज़ सम्बंधित वित्तीय सस्थाएं नाकाम हो गयी और गिरवी के कारण क़र्ज़ का बाज़ार काफी प्रभावित हुआ । इराक ने कुवैत पर हमला कर दिया जिसके कारण तेल की कीमतों में भारी उछाल आया । इन सब वजह से अमेरिका फिर से मंदी की चपेट में आ गया । 1989 में मिनी क्रेश देखा गया । आठ महीने की इस मंदी में जीडीपी दर 1.5 प्रतिशत गिरी और बेरोजगारी दर 6.8 प्रतिशत रही ।

2001:- इग्रहवी  आर्थिक  मंदी  (Eleventh economic recession)

1990  के दशक के दौरान इन्टरनेट पे बेतहाशा निवेश किया गया जिससे ये नकली बूम बहुत उचे स्तर पर पहुच गया जहाँ से इसे बचाना असंभव था डॉट कॉम बबल 2001 मे फटा और नैसडैक का मूल्य 75 फीसदी तक गिर गया. जो कसर बची थी, वह सितंबर के आतंकी हमले ने पूरी कर दी और अमेरिका फिर मंदी की चपेट में आया ।

हालाकि ये मंदी बहुत तेज़ हुई पर इसका असर काफी मामूली रहा । इस दौरान जीडीपी बहुत मामूली गिरा और बेरोजगारी दर 5.5 प्रतिशत रही। हाउसिंग सेक्टर के मजबूती के कारण इस मंदी पे काबू पाया गया । 

2007-2009 :- बारहवी आर्थिक  मंदी (Twelfth economic recession)

हिस्ट्री डॉट कॉम जो की अमेरिका के मंदी का रिकॉर्ड रखती है उसके अनुसार अमेरिका में जो हाउसिंग सेक्टर का गुब्बारा फुलाया गया था वो आखिर में फट गया इससे निवेशकों को भारी नुक्सान झेलना पड़ा और परिणाम ये हुआ की एसएंडपी 500 और डाउ जोन्स ने अपना आधा मूल्य गंवा दिया ।

18 महीने इस मंदी के दौर में जीडीपी में 4.3 प्रतिशत की गिरावट हुई और बेरोजगारी दर 10 प्रतिशत पे पहुच गयी । बैंकों और दुबक गई अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए डेढ़ ट्रिलियन डॉलर के राहत पैकेजों के बाद किसी तरह अर्थव्यवस्था को उबारा जा सका ।

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