कर्नाटक में हिजाब विवाद की असली वजह जानें क्या कहता है भारत 2022

कर्नाटका में उठे एक कॉलेज में साधारण से विवाद ने जो की मुस्लिम पहनावा यानी की हिजाब को लेकर था , अब एक बड़ा रुख ले लिया है।
दो दिन के कर्फ्यू के बाद भी ये मामला अभी शांत नहीं हुआ है बात यहां तक बढ़ गई है की मामला हाई कोर्ट तक जा पहुंचा है। मुस्लिम और हिंदू समुदाय में अभी भी आक्रोश है और हो सके तो ये मुद्दा आगे और भी भयंकर रूप ले ले।
जानते हैं आखिर क्या है मुद्दा
बात है कर्नाटका के उडुपी शहर के एक सरकारी कॉलेज की जहां पर कुछ लड़कियों द्वारा कॉलेज में हिजाब पहनकर जाने पर उन्हें क्लास में अंदर आने से रोका गया जिस पर उनमें से किसी लड़की द्वारा कर्नाटक हाईकोर्ट में यह कहते हुए याचिका दायर की गई, की हिजाब पहनने की अनुमति ना देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत हमारे मौलिक अधिकारों का हनन है।
इसके बाद मुस्लिम महिलाओं ने विरोध किया और कहां यह हमारा अधिकार है हमें इसे पहनने से कोई नहीं रोक सकता। जब यह बात और लोगों में फैली तो उसी कॉलेज के कुछ बच्चों ने भगवा गमछा बांध कर आना शुरू कर दिया और साथ ही भगवे रंग का झंडा भी लहराया जाने लगा कुछ लोगों ने तो श्री राम के नारे लगाने शुरू कर दिए।
धीरे धीरे ऐसा अन्य कॉलेजों में भी किया जाने लगा। इसके बाद यह मुद्दा सांप्रदायिक रूप लेने लगा और इस पर सियासत जारी है।
और धीरे-धीरे यह बात इतनी तेजी से फैल गई की दो समुदायों द्वारा इस पर विरोध जताया जाने लगा। ये बात यहीं नहीं रुकी इस चुनावी माहौल में पार्टियों द्वारा भी इस मुद्दे का पूरा प्रयोग किया गया। लोगों द्वारा सड़के जाम कर दी गई कर्फ्यू लगाया गया इसके बाद भी ये मामला शांत नहीं हुआ।
19 जनवरी को कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं और उनके माता-पिता तथा अधिकारियों के साथ बैठक की पर इससे भी कोई हल नहीं निकला। कर्नाटक सरकार द्वारा इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक कमेटी का निर्माण किया गया है लेकिन इस कमिटी का गठन इस हिसाब से किया गया है की जब तक कमिटी अपना रिपोर्ट नहीं दे देती तब तक छात्राओं को कॉलेज के नियमो को मानना होगा ।
और अब बात इतनी बढ़ गई है कि ये पूरा मामला हाई कोर्ट तक जा पहुंचा है।
क्या कहता है भारत
इस मामले को लेकर देश भर से लोगों के सुझाव और उनके दृष्टिकोण सामने आ रहे हैं कुछ लोग इस बात का खुलकर समर्थन कर रहे हैं कुछ लोग इसके विपक्ष से बोल रहे हैं कुछ लोगों का कहना है की किसी भी स्कूल और कॉलेजों में छात्र-छात्राएं यदि चाहे तो वह अपने मौलिक परिधानों का धारण कर सकते हैं।
जैसे – सिख पगड़ी पहन सकते हैं मुस्लिम महिलाएं हिजाब पहन सकती हैं और हिंदू धर्म के लोग तिलक लगा सकते हैं वहीं कुछ लोगों का कहना है की स्कूल और कॉलेज में जो भी ड्रेस कोड लगाया गया है बच्चे उसी परिधान में आए व शिक्षण संस्थानों में अपने धर्म या समुदाय से संबंधित परिधानों को धारण ना करें ताकि सभी बच्चे एक समान दिखें।
क्योंकि किसी भी शिक्षण संस्थान का यह मूल नियम होता है कि वह सभी बच्चों को एक समान शिक्षा दें और वसुधैव कुटुंबकम का पाठ पढ़ाए बच्चों में आपस में भेदभाव ना किया जा सके।
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भेदभाव का मतलब कोई भी बच्चा चाहे वह किसी भी जात किसी भी वर्ग, किसी भी धर्म या किसी भी समुदाय का हो वह सब एक समान दिखें ना ही उनमें कोई अमीर हो , कोई गरीब हो और ना ही ऊंच-नीच का भेदभाव हो।
अब हम जानते हैं की धर्म से संबंधित परिधानों का मतलब लोगों द्वारा इन्हे क्यूं इस्तमाल किया जाता है तथा बुर्खा और हिजाब में क्या अंतर होता है।
अब हम यहां धार्मिक परिधानों में पहने जाने वाले वस्त्रों पर चर्चा करेंगे परंतु हाल ही में हुए कर्नाटक हिजाब घटना की वजह से इस समय हर कोई हिजाब के ऊपर अपनी राय दे रहा है इस घटना की वजह से सियासत भी एकदम गर्म हो चुकी है तो आइए हम अन्य धार्मिक परिधानों के बारे में चर्चा तो करेंगे साथ ही में हमें ये भी बताएंगे की आखिर बुर्खा और हिजाब में क्या फर्क है और इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता है।
हिजाब
जैसा की आप सभी इस बात से वाकिफ होंगे की इस्लाम धर्म में पर्दे को एक अलग ही दर्जा दिया जाता है , हिजाब उस पर्दे का ही हिस्सा है जिसे मुस्लिम लड़कियों द्वारा अपने सर को ढकने के लिए किया जाता है।
यह एक सामान्य से कपड़े की तरह होता है जिससे मुस्लिम महिलाएं अपने सर को ढकती है इसमें उनका चेहरा दिखता रहता है।
बुर्खा
आप समझ ले की बुर्खा एक प्रकार का वस्त्र होता है जिसे मुस्लिम महिलाओं द्वारा अपने पूरे जिस्म को ढकने के लिए इस्तमाल किया जाता है। ये सर से लेकर पांव तक एक पूरा लंबा वस्त्र होता है जो सर के साथ साथ शरीर के बाकी हिस्सों या फिर यूं कहलें तो पांव तक ढक देता है। पहले यह काले रंग में ही उपलब्ध हुआ करता था पर बढ़ते हुए फैशन स्टैंडर्ड में अब इसके भी कई तरह के रंग और डिजाइन मार्केट में उपलब्ध है।
दुपट्टा (Stole)
हिंदू धर्म में या बाकी के धर्म में भी महिलाओं द्वारा खुद को पर्दे में रखने के लिए दुपट्टे का इस्तेमाल किया जाता है यह एक सामान्य कपड़ा होता है जिससे सर को ढका जाता है ये सामान्य रूप महिलाएं इसका इस्तमाल कंधे और गर्दन को ढकने के लिए करती है यह एक खुला कपड़ा होता है जिसे किसी भी तरीके से ओढ़ा जा सकता है और ये बाजार में कई रंगों में उपलब्ध होता है।
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स्कार्फ
स्कार्फ का इस्तेमाल लड़कियों द्वारा अपने सर को ढकने के लिए किया जाता है ज्यादातर लड़कियां इसका इस्तेमाल गर्मी के मौसम में धूप से बचने के लिए करती है। यह भी दुपट्टे की तरह दिखने वाला एक सामान्य सा कपड़ा होता है लेकिन यह दुपट्टे की अपेक्षा छोटा होता है और ज्यादातर सर को ढकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ये भी मार्केट में कई रंगों और कई डिजाइनओं में उपलब्ध है।
तक़िय्यह
इसे हिंदी भासा में टोपी कहा जाता है जिसका इस्तेमाल मुस्लिम भाइयों द्वारा 5 वकत दैनिक नमाज पढ़ते वकत पहना जाता है। इस्लाम के लोगो का मानना है की इस्लामिक पैगंबर मुहम्मद शाहब अपना सर ढंक कर रखते थे इसलिए इस्लाम के लोग इसका अनुसरण करते है। ये भी इनका धार्मिक परिधान है जिसका इस्तेमाल इबादत के समय किया जाता है।
पगड़ी
पगड़ी सिक्खों का एक धार्मिक परिधान है जो की प्रत्येक सिक्ख भाइयों द्वारा धारण किया जाता है। ऐसा कहा जाता है की औरंगजेब ने गैर मुस्लिमो को, खास तौर से सिक्खो की आबादी को पहचानने के लिए पगड़ी की व्ववस्था करवाई थी। गुरु तेग बहादुर के मौत के बड्ड उनके बेटे गोविन्द ने खालसा पंथ की स्थापना की और तबसे सिक्खो का पग पहनना अनिवार्य किया।
भगवा गमछा
हिन्दू धरम में भगवा रंग को शुभ माना जाता है अक्सर पूजा पाठ के समय इस रंग का प्रयोग किया जाता है। साधु संत अक्सर ये रंग पहने भी नजर आते है। भगवा रंग के वस्त्र को संयम, संकल्प और आत्मनियंत्रण का भी प्रतिक मन जाता है। इस रंग को भी धार्मिक परिधान में रखा जाता है।
बुर्खा और हिजाब के बीच का अंतर
बुर्खा और हिजाब के बीच यही फर्क होता है की बुर्खा हमारे पूरे शरीर को पर्दे में रखता है और हिजाब केवल सर गर्दन और पीठ को ही ढकता है। इन दोनों कपड़ों का इस्तेमाल मुस्लिम महिलाएं पर्दे के लिए करती हैं।
अब हम आपको ये बताएंगे की किस देश ने हिजाब और बुर्खे पर प्रतिबन्ध लगाया है और किसने ऐसे अपनाया है –
किन देशो में बुर्खे पर नही है प्रतिबन्ध
सऊदी अरब
सऊदी अरब में महिलाये अबाया पहनती है अबाया जो की एक ढीली ढाली पोषक होती है जिसे मुस्लिम महिलएं बुर्खा, हिजाब या नकाब के साथ ही पहनती हैं।
ईरान
ईरान में 1979 में हुए क्रांति के बाद हिजाब को अनिवार्य कर दिया गया है बता दें कि महिलाओं को सर, गर्दन, पीठ को ढकना और ढीले ढाले कपड़े पहनना अनिवार्य कर दिया गया है।
पाकिस्तान
पाकिस्तान भी एक मुस्लिम बहुल देश है लेकिन वहां पर बुर्खा और हिजाब एक आम पोशाक की तरह है वहां ऐसा कोई कानून नहीं है जो बुर्खा, नकाब, हिजाब पहनने या किसी भी कपड़े से मुंह को ढकने से रोकता है या इसकी वकालत करता है।
इंडोनेशिया
इंडोनेशिया भी एक मुस्लिम बहुल देश है पर वहां महिलाओ को ये इजाजत होती है की वो खुद से चुनाव कर सकती हैं कि वह हिजाब या अन्य तरह के कपड़े का इस्तमाल मुंह ढकने के लिए करेंगी या नहीं करेंगी
ऐसे देश जहां बुर्के पर प्रतिबंध है
फ्रांस
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने सन 2010 में है बुर्के और नकाब पर पूरी तरीके से प्रतिबंध लगा दिया था उनका यह कहना था कि ईससे महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिलेगा उन्हें एक बराबर अधिकार व हक प्राप्त होगा। फ्रांस के कानून के मुताबिक यदि के द्वारा बुर्का और नकाब पहनकर नियम का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
चाइना
चाइना में भी पब्लिक बस में स्कार्फ बुर्खा या फिर नकाब पहनने की अनुमति नहीं है यदि कोई ऐसा करता है तो उसे बस से उतार दिया जाता है। यहां हिसाब पर पूरे तरीके से रोक लगा हुआ है। यहां पर किसी भी धार्मिक परिधान को सुनिश्चित करने वाले कपड़े पहन कर स्कूल या सरकारी कार्यालयों में जाने की अनुमति नहीं है।
डेनमार्क
डेनमार्क में चेहरा ढकने से संबंधित हर एक तरह के कपड़े पर रोक लगा हुआ है। डेनमार्क के सांसद में साल 2018 में इसको लेकर कानून लागू किया गया। इस कानून के तहत डेनमार्क के पुलिस को ये अधिकार अधिकार दिया गया है की अगर वह किसी औरत को नकाब या किसी भी अन्य कपड़े से मुंह ढकते हुए देखते हैं तो उनके ऊपर जुर्माना लगा सकते हैं।
पहली बार के जुर्माने में 1000 डेनिश क्रोन और दूसरे बार पकड़े जाने पर 10,000 डेनिश क्रोन देने पड़ते हैं।
रुस
रूस में भी हिजाब पर प्रतिबंध है, यहां पर सन 2012 में ही हिजाब पहनने पर रोक लगाया गया था। इसके बाद या मामला कोर्ट में गया लेकिन कोर्ट ने भी इसे जायज ठहराते हुए शक सरकार की ओर से फैसला सुनाया।
जर्मनी
साल 2017 से ही जर्मनी में सरकारी कर्मचारियों, जज और सैनिकों पर पूरा चेहरा ढकने पर प्रतिबंध है।
श्रीलंका
श्रीलंका में हुए आतंकी हमले के बाद श्रीलंका सरकार द्वारा सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकने को लेकर पूरी तरह से रोक लगा दिया गया है।
बेल्जियम
सन 2011 से ही बेल्जियम में बुर्का और नकाब पूरी तरीके से प्रतिबंधित है। 24 अगस्त 2016 में इस नियम को तोड़ने पर मुकदमा दायर कर दिया गया।
नीदरलैंड
साल 2016 में कुछ जग्गू जैसे स्कूल एयरपोर्ट जहां पर चेहरा देखना जरूरी होता है वैसी जगह पर इसे प्रतिबंधित कर दिया।
कैमरून
जब कैमरून में दो महिलाओं द्वारा इस परिधान को पहन कर आत्मघाती हमला किया गया जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई। इसी वजह से साल 2015 में कैमरून की सरकार ने बुर्खे पर प्रतिबंध लगा दिया।
इटली
इटली के लोमबार्डी में महिलाओ को बुर्का पहनने पर रोक है यह रोक खासतौर से अस्पताल और बाकी के सार्वजनिक जगहों पर लगाया गया है।
निष्कर्ष (Conclusion)
दोस्तों हमने आपके साथ बुर्खा और हिजाब से संबंधित विषय पर चर्चा की। जिसमें हमने आपको बताया कि देश में इस समय हिसाब विवाद चरम सीमा पर है जिसको लेकर सियासत गर्म है बात हाई कोर्ट तक पहुंच चुकी है कुछ लोग इस विवाद का फायदा भी उठा रहे हैं। चुनावी पार्टियों द्वारा इस विवाद का पूरा इस्तमाल किया जा रहा है।
पर हमे ये कोशिश करनी चाहिए की हमारे देश में ऐसे विवाद ना हो और अगर हो तो उसे शांति और सौहार्द से सुलझाया जा सके ताकि कोई भी ऐसे विवादों का अपना व्यक्तिगत ढांचा अच्छा बनाने के लिए इस्तमाल ना कर सके। दोस्तों हमारे इस कंटेंट का मकसद किसी भी धर्म जाति या वर्ग के लोगों को आहत पहुंचाना नहीं था।
हमारे कंटेंट का मकसद सिर्फ लोगो में जागरूकता को बढ़ाना था। हम जिस देश में रहते हैं वहां हर धर्म जाति वर्ग के लोग रहते है ऐसे में ये हमारे देश की खूबसूरती है तो इस खूबसूरती को गवाने ना दें और यदि कोई विवाद उठ रहा है तो उसे शांति और विनम्रता के साथ सुलझाएं।
धन्यवाद!