1947 से लेकर के अब तक के प्रधानमंत्रियों (Prime Ministers) की सूची तथा इनसे संबंधित सारी जानकारी अब हिंदी में

 1947 से लेकर के अब तक के प्रधानमंत्रियों (Prime Ministers) की सूची तथा इनसे संबंधित सारी जानकारी अब हिंदी में

दोस्तों आज का यह हमारा आर्टिकल आपको यह बताएगा कि भारत में अब तक कितने प्रधानमंत्री (Prime Minister) हुए उनके नाम, कार्यकाल और उनसे संबंधित बाकी की जानकारियों को भी। अब समय को बर्बाद ना करते हुए हम अपने टॉपिक को शुरु करते हैं।

(1949 – 2022) प्रधान मंत्रियों की सूची (list of Prime Ministers)

क्रम सं.                     नाम            (जन्म – मृत्यु)       कार्य की अवधी 
    1. जवाहर लाल नेहरू          (1889–1964) 15 अगस्त 1947 से  27 मई 1964

16 वर्ष 286 दिन 

    2. गुलजारी लाल नंदा             (1898–1998) 27 मई 1964 to 9   जून 1964,

13 दिन

    3. लाल बहादुर शास्त्री            (1904–1966) 9 जून 1964 to 11 जनवरी 1966

1 वर्ष, 216 दिन

    4. गुलजारी लाल नंदा           (1898–1998) 11 जनवरी 1966 to 24 जनवरी 1966

13 दिन

 

    5. इंद्रा गाँधी            (1917–1984) 24 जनवरी 1966 to 24 मार्च 1977

11 वर्ष, 59 दिन

    6. मोरार जी देसाई            (1896–1995) 24 मार्च 1977 to  28 जुलाई 1979 

2 वर्ष, 126 दिन

    7. चौधरी चरण सिंह            (1902–1987) 28 जुलाई 1979 to 14 जनवरी 1980

170 दिन

    8. इंद्रा गाँधी            (1917–1984) 14 जनवरी 1980 to 31 अक्टूबर 1984

4 वर्ष, 291 दिन

    9. राजीव गाँधी            (1944–1991) 31 अक्टूबर 1984 to 2 दिसंबर 1989

5 वर्ष, 32 दिन

    10. विश्‍वनाथ प्रताप सिंह           (1931–2008) 2 दिसंबर 1989 to 10 नवंबर 1990

343 दिन

    11. चंद्र शेखर            (1927–2007) 10 नवंबर 1990 to    21 जून 1991

223 दिन

    12. .पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव           (1921–2004) 21 जून 1991 to 16 मई 1996

4 वर्ष, 330 दिन

    13. अटल बिहारी बाजपाई            (1924–2018) 16 मई 1996 to 1   जून 1996

16 दिन

    14. एच॰ डी॰ देवगौड़ा           (जन्म–1933) 1 जून 1996 to 21 अप्रैल 1997

324 दिन

    15. इन्दर कुमार गुजराल           (1919–2012) 21 अप्रैल 1997 to 19 मार्च 1998

332 दिन

    16. अटल बिहारी बाजपाई           (1924–2018) 19 मार्च 1998 to 22 मई 2004

6 वर्ष, 64 दिन

    17. मनमोहन सिंह           (जन्म –1932) 22 मई 2004 to 26 मई 2014

10 yवर्ष, 4 दिन

    18. नरेंद्र दामोदर दास मोदी           (जन्म–1950) 26 मई 2014 – Present

अब हम आपको इन लोगो से संबंधित सारी जानकारी देंगे ।

जवाहर लाल नेहरू (First Prime Minister in India)

जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर सन 1889 को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री मोतीलाल नेहरू था। जवाहरलाल नेहरू 1930 और 1940 के दशक में भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रमुख नेता थे 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ उसके बाद वे 17 वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री (Prime Minister) के रूप में कार्य किए।जवाहरलाल नेहरु जी ने सन 1950 के दशक में संसदीय लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया।

इन्होंने एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में भारत के चार को शक्तिशाली रूप से प्रभावित किया। जवाहरलाल नेहरू एक जाने-माने लेखक थे जेल में लिखी हुई उनकी कई किताबें जैसे लेटर्स फ्रॉम फादर टो हिस डॉटर ( (1936) एन ऑटोबायोग्राफी (1936) और द डिस्कवरी ऑफ इंडिया (1946) को पूरी दुनिया भर में पढ़ा गया।

जवाहरलाल नेहरू एक प्रमुख वकील और भारतीय राष्ट्रवादी थे जिनकी शिक्षा इंग्लैंड के हैरो स्कूल और त्रिनिटी कॉलेज कैंब्रिज में हुई थी। यह इनर टेंपल में कानून में प्रशिक्षित हुए थे। जिसके बाद यह एक बैरिस्टर बन गए। जिसके बाद यह भारत लौट आया और यहां कर इन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दाखिला लिया और धीरे-धीरे राष्ट्रीय राजनीति में रुचि लेने लगे।

फिर यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। सन 1920 के दशक में यह एक प्रगतिशील गुट के नेता बन गया और फिर महात्मा गांधी का समर्थन प्राप्त करते हुए नेहरू जी को राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया।सन 1929 में कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नेहरू ने ब्रिटिश राज से पूर्ण स्वतंत्रता का आह्वान किया।

1930 के दशक में नेहरू और कांग्रेश भारतीय राजनीति पर हावी रहे श्री जवाहरलाल नेहरू जी ने 1937 में भारतीय प्रांतीय चुनावों में जीत हासिल करने के लिए धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र राज्य के विचार को बढ़ावा दिया और कई सारे प्रांतों में सरकार बनाने की अनुमति भी ली।अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के 8 अगस्त 1942 के भारत छोड़ो प्रस्ताव के बाद कांग्रेश के वरिष्ठ नेताओं को जेल में डाल दिया गया और कुछ समय के लिए संगठन को पूरा खत्म ही कर दिया गया।

मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग अंतरिम रूप से मुस्लिम राजनीति पर हावी हो गई थी 1946 के प्रांतीय चुनावों में कांग्रेस से चुनाव जीते पर अंग्रेजों ने किसी न किसी रूप में पाकिस्तान के लिए के स्पष्ट जनादेश के रूप में व्याख्यायित किया।सितंबर 1946 में जवाहर लाल नेहरू भारत के अंतरिम प्रधानमंत्री बने।

1946 अक्टूबर में मुस्लिम लीग भी कुछ हिचकिचाहट के साथ उनके सरकार में शामिल हुई। 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता पर नेहरू ने समीक्षकों द्वारा प्रसंशित “Tryst With Destiny” भाषण दिया। प्रधानमंत्री (Prime Minister) पद के लिए शपथ ली और दिल्ली के लाल किले पर भारतीय ध्वज फहराया।

गुलजारी लाल नंदा (Prime Minister in India, 27 May 1964 to 9 June 1964, 11 January 1966 to 24 January 1966)

गुलजारी लाल नंदा एक अर्थशास्त्री होते हुए वो एक राजनीतिज्ञ भी थे,ये श्रम मुद्दों पर विशेषज्ञता रखते थे। जब 1964 में जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु हुई तब वो 13 दिन के लिए अंतरिम प्रधानमंत्री (Prime Minister) बने और मंत्री पद का कार्यभार संभाले।इसके बाद जब सन् 1966 में लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हुई तब भी वे 13 दिनो के लिए अंतरिम प्रधान मंत्री (Prime Minister) बने और देश को संभाले।

गुलजारी लाल नंदा का जन्म 4 जुलाई सन 1898 को पंजाब, ब्रिटिश भारत के सियालकोट में एक पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था। भारत के विभाजन के बाद सन् 1947 में सियालकोट बाद में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का हिस्सा बन गया। गुलजारी लाल नंदा ने अपनी शिक्षा लाहौर अमृतसर आगरा और प्रयागराज में हासिल की। 

वह इन दोनो अवधियों के के समय भारत के गृह मंत्री थे और यही कारण था की उन्हे प्रधान मंत्री (Prime Minister)  रूप में चुना गया।सत्तारूढ़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संसदीय दल द्वारा एक नया प्रधान मंत्री (Prime Minister)  चुन लिया जाने के बाद इनके दोनो कार्यकाल समाप्त हो गए। श्री गुलज़ारी लाल नंदा जी को सन् 1947 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

लाल बहादुर शास्त्री (Second Prime Minister in India)

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय बनारसी में हुआ था। यह भारत के दूसरे प्रधानमंत्री (Prime Minister)  थे।इनका मंत्री पद का कार्यकाल काफी छोटा था क्योंकि यह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक अर्थात अपनी मृत्यु तक तकरीबन 18 महीने ही भारत के प्रधानमंत्री रहे।

जब भारत को स्वतंत्रता मिली उसके बाद लाल बहादुर शास्त्री जी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। शास्त्री जी को गोविंद बल्लभ पंत के मंत्रिमंडल में पुलिस एवं परिवहन मंत्रालय सौंपा गया। शास्त्री जी ही एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने कार्यकाल में पहली बार महिला संवाहको की नियुक्ति की थी।

शास्त्री जी जब पुलिस मंत्री बने उन्होंने भीड़ को काबू में रखने के लिए लाठी की जगह पानी की बौछार करने का प्रयोग आरंभ किया। जवाहर लाल नेहरू जी के नेतृत्व में सन 1951 को अखिल भारत कांग्रेस कमेटी के महासचिव बनाए गए। लाल बहादुर शास्त्री जी ने 1952, 1957 और 1962 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को अधिक बहुमत से जिताने के लिए बहुत मेहनत भी किया।

जब जवाहरलाल नेहरू का उनके प्रधानमंत्री (Prime Minister)  के कार्यकाल के दौरान 27 मई 1964 को देहावसान हो गया तब शास्त्री जी को उनकी साफ-सुथरी छवि के कारण 1964 में देश का प्रधानमंत्री बनाया गया।शास्त्री जी ने 9 जून 1964 को भारत के प्रधानमंत्री (Prime Minister)  पद का भार संभाला। शास्त्री जी के शासनकाल में ही सन 1965 में भारत और पाकिस्तान का युद्ध शुरू हो गया।

इससे 3 वर्ष पहले भारत चीन का युद्ध हार चुका था। शास्त्री जी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में जवाहरलाल नेहरू के मुकाबला राष्ट्र को बहुत ही उत्तम नेतृत्व प्रदान किया जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी जिसकी कल्पना पाकिस्तान ने सपने में भी नहीं की थी ऐसी शिकस्त मिली उनको।

लाल बहादुर शास्त्री जी ने जब ताशकंद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री (Prime Minister) अयूब खान के साथ युद्ध को समाप्त करने के लिए किए गए समझौते पर हस्ताक्षर किया, हस्ताक्षर करने की बाद ही 11 जनवरी 1966 की रात में इनकी रहस्यमय तरीके से मृत्यु हो गई।शास्त्री जी के सादगी देशभक्ति और ईमानदारी के लिए उनकी मृत्यु के पश्चात उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

इंदिरा गांधी (Third & 6th Prime Minister in India)

इंदिरा गांधी का पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी था इनका जन्म सन 1917 में 19 नवंबर को हुआ था। यह 1966 से 1977 तक लगातार भारत गणराज्य की प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनी रहीं इसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर के 1984 तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। इंदिरा गांधी भारतवर्ष की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री (Prime Minister) रहीं है। इनका जन्म राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेहरू जी के परिवार में हुआ था।

इनके पिता का नाम जवाहरलाल नेहरू और इनकी माता का नाम कमला नेहरू था इंदिरा गांधी को उनका उपनाम अर्थात गांधी फिरोज गांधी से विवाह के बाद मिला था। इंदिरा गांधी का मोहनदास करमचंद गांधी से किसी तरह का संबंध नहीं था ना ही खून का और ना ही किसी वैवाहिक रिश्ते का। इनके दादा जी श्री मोतीलाल नेहरू बहुत ही प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे।

इनके पिता जी श्री जवाहरलाल नेहरू भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्तित्व थे इसके साथ ही वे स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री (Prime Minister) भी थे। इंदिरा गांधी ने अपनी स्कूली शिक्षा 1935 में पूरी कर ली थी। इसके बाद में रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा निर्मित विश्व भारती विश्वविद्यालय जो की शांतिनिकेतन में था वहां प्रवेश लिया। रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा ही इन्हें प्रियदर्शनी नाम दिया गया था।

यह विश्व भारती विद्यालय से शिक्षा लेने के बाद इंग्लैंड चली गई और इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन किया परंतु यह उस परीक्षा में विफल रही इसके बाद इन्होंने ब्रिस्टल के बैडमिंटन स्कूल में अपना कुछ समय बिताया तत्पश्चात 1937 में पुनः परीक्षा दिया जिसमें वह सफल हो गई और सफलता हासिल करने के बाद इन्होंने सोमरवेल कॉलेज, Oxford में admission लिया।

इसी दौरान इनकी मुलाकात फिरोज गांधी से हुई, जिन्हें वाह इलाहाबाद से जानती थी। फिरोज गांधी और समय लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में अध्ययन कर रहे थे। फिर इनकी मुलाकात आगे बढ़ने लगी और अंत में 16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में एक धर्म ब्रह्मा वैदिक समारोह के दौरान इनका विवाह फिरोज गांधी से हुआ।इंदिरा गांधी जब ऑक्सफोर्ड से सन 1941 में भारत वापस आईं तो यहां लौटने के बाद वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गई।

सन 1950 के दशक में जब उनके पिता भारत के प्रथम प्रधानमंत्री (Prime Minister) थे तब उनके कार्यकाल के दौरान एक गैर सरकारी तौर पर निजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं।जब जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हो गई उसके बाद सन् 1964 में इंदिरा गांधी की नियुक्ति एक राज्यसभा सदस्य के तौर पर हुई जिसके बाद वह लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण की मंत्री बनीं।

जब लाल बहादुर शास्त्री की अकस्मात मृत्यु हो गई तब उस समय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के. कामराज इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनाने के पक्ष में रहे। इंदिरा गांधी के चुनाव को जीतने के बाद जनप्रियता के माध्यम से वह विरोधियों के ऊपर हावी होने की योग्यता को दर्शायीं तथा इन्होंने बामवर्गी आर्थिक नीतियां और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा दिया।

1971 में जब भारत पाकिस्तान युद्ध में एक निर्णायक जीत हुआ जिसके बाद की अवधि में अस्थिरता की स्थिति में इंदिरा गांधी जी द्वारा सन 1975 में आपातकाल लागू करवा दिया गया।इंदिरा गांधी और उनकी कांग्रेस पार्टी ने सन 1977 में आम चुनाव में पहली बार हार का सामना किया। इसके बाद जब सन 1980 में वह सत्ता से दोबारा लौटी तब व अधिकतर पंजाब के अलगाववादियों के साथ बढ़ते हुए झगड़े में उलझी रही जिसकी वजह से आगे चलकर सन 1984 को अपने ही अंग रक्षकों द्वारा उनकी राजनीतिक हत्या की गई।

मोरारजी देसाई (4th Prime Minister in India)

मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी 18 सो 96 को हुआ था। यह भारत के स्वाधीनता सेनानी राजनेता और देश के चौथे प्रधानमंत्री (Prime Minister) थे। वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री (Prime Minister) थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बजाय अन्य दल से थे। मोरारजी देसाई एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न और पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान निशान ए पाकिस्तान से सम्मानित किया गया था।

सन 1930 में मोरारजी देसाई ने ब्रिटिश सरकार की नौकरी को छोड़ दिया था और वह भी स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही बन गए थे। सन 1931 में मोरारजी देसाई गुजरात प्रदेश के कांग्रेस कमेटी के सचिव बन गए। मोरारजी देसाई द्वारा अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की शाखा की स्थापना की गई और श्री सरदार पटेल के निर्देशन पर उसके अध्यक्ष बनाए गए। सन 1932 में इनको 2 साल की जेल भुगतनी पड़ी थी।

यह 1937 तक गुजरात प्रदेश के कांग्रेसी कमेटी के सचिव बने रहे। इसके बाद वे मुंबई राज्य के कांग्रेस मंत्रिमंडल में शामिल हो गए। इस दौरान लोगों द्वारा यह माना जाने लगा था की मोरारजी देसाई के व्यक्तित्व में जटिलता है। इनके बारे में यह कहा जाता था कि वह स्वयं की बात को ऊपर रखते थे और उसे ही सही मानते थे। इस वजह से लोग इन्हें व्यंग करते थे और ‘सर्वोच्च नेता’ कहकर बुलाते थे। पर मुरारजी को खुद के लिए सर्वोच्च नेता शब्द सुनना एक व्यंग नहीं बल्कि सम्मान की बात लगती थी।

यही नहीं गुजरात के समाचार पत्रों में भी ज्यादातर इनके व्यक्तित्व को लेकर व्यंग्य प्रकाशित किए जाते थे। कार्टून के किरदार में भी वह एक लंबे छड़ी के साथ दिखाए जाते थे और साथ ही में गांधी जी की तरह टोपी पहने भी दिखाए जाते थे यह व्यंग होता था कि गांधीजी के व्यक्तित्व से प्रभावित तो है लेकिन अपनी बात पर अड़े रहने वाले एक जिद्दी इंसान हैं।

जब जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु हो गई तो उसके बाद कांग्रेसमें जो भी अनुशासन था वह सब बिखरने लगा कई ऐसे सदस्य भी थे जो खुद को पार्टी से बड़ा समझने लगे उनमें से एक हमारे मोराजी देसाई भी थे।लाल बहादुर शास्त्री जी ने अपनी पार्टी के लिए एक वफादार सिपाही की तरह कार्य किया था यहां तक की उन्होंने अपनी पार्टी में कभी भी किसी भी पद के लिए मांग तक नहीं गया था। लेकिन इस मामले में मोरारजी देसाई अपवाद में गिरे रहे

कांग्रेस पार्टी के साथ उनके जो भी मतभेद थे वह जगजाहिर थे और देश का प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनना उनकी प्रथम  में से एक था। अर्थात देश का प्रधानमंत्री (Prime Minister)  बनना उनकी प्रथम प्राथमिकता थी। इंदिरा गांधी ने उनके इस चरित्र को भाप लिया मतलब की वह समझ गई की मुराद दिशाएं उनके लिए कई सारी कठिनाइयां पैदा कर रहे हैं तो उसी समय से इंदिरा गांधी ने मोरारजी के पर कतर ना शुरू कर दिया।

मोरारजी देसाई सन 1975 में जनता पार्टी में शामिल हो गया और जब 1977 में लोकसभा चुनाव हुआ तो जनता पार्टी को एक स्पष्ट बहुमत प्राप्त हो गया परंतु यहां पर प्रधानमंत्री (Prime Minister) पद के लिए दो अन्य दावेदार भी उपस्थित थे। इनके नाम थे चौधरी चरण और जगजीवन राम। लेकिन उनमें से एक थे जयप्रकाश नारायण जो खुद कभी कांग्रेसी हुआ करते थे उन्होंने अपनी किंग मेकर की स्थिति का लाभ उठाते हुए मोरारजी देसाई का पूरा समर्थन किया।

इसके बाद सन 1977 में 23 मार्च को मोरारजी देसाई 81 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री (Prime Minister)  बने। इससे पहले इन्होंने कई बार प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनने की कोशिश की थी पर उसमें उनको सफलता नहीं प्राप्त हो सकी थी। सफलता नहीं प्राप्त होने से मतलब यह नहीं है कि वह प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनने के काबिल नहीं थे। लेकिन यह दुर्भाग्य की बात जरूर है की वह वरिष्ठता नेता होने के बावजूद भी जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद भी उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया।

देसाई जी मार्च 1977 में देश के प्रधानमंत्री बने तो लेकिन इनका कार्यकाल पूरा नहीं हो सका चौधरी चरण सिंह से हुए कुछ मतभेदों के चलते उन्हें प्रधानमंत्री (Prime Minister) पद को छोड़ना पड़ा था।

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चौधरी चरण सिंह (5th Prime Minister in India)

चौधरी चरण सिंह जी का जन्म 23 दिसंबर 19 और 2 को हुआ था वाह भारत देश के एक किसान राजनेता और पांचवें प्रधानमंत्री (Prime Minister) थे। इन्होंने इस पद को 28 जुलाई सन 1979 से 14 जनवरी सन 1980 तक संभाला था। इन्होंने अपना सारा जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश के मर्यादा में ही जिया। जब कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया गया तभी से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह जी राजनीति में और सक्रिय हो गए।

इन्होंने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में जब महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा नाम के आंदोलन का आवाहन किया तो चौधरी चरण सिंह जी ने उनका साथ हिंडन नदी पर नमक बना कर दिया। इसके वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।वह शुरू से ही किसानों के नेता माने जाते रहे। इन्होंने जो जमीदारी उन्मूलन तैयार किया था वह विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। चौधरी चरण सिंह जी के बदौलत है,

1 जुलाई सन 1952 को यूपी में जमीदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ जिस वजह से गरीबों को उनका अधिकार प्राप्त हुआ। चौधरी चरण सिंह जी ने लेखपाल के पद का सृजन किया। सन 1954 में किसान हित को देखते हुए इन्होंने उत्तर प्रदेश मैं “उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण” नाम का कानून पारित कराया। यह 3 अप्रैल सन 1967 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। लेकिन 17 अप्रैल 1968 को इन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया।

लेकिन जब मध्यावधि चुनाव हुआ तब इन्हें अच्छी सफलता मिली और फिर यह दोबारा 17 फरवरी सन 1970 मैं मुख्यमंत्री बने। इसके बाद वे केंद्र सरकार में गृह मंत्री बनाए गए गृह मंत्री बनने के बाद इन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना करी। सन 1979 में इन्होंने वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री (Prime Minister) के तौर पर राष्ट्रीय के सिवा ग्रामीण विकास बैंक अर्थात नाबार्ड की स्थापना की। 28 जुलाई सन 1981 में समाजवादी पार्टी और कांग्रेश पार्टी (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री (Prime Minister)  बनाए गए।

राजीव गांधी (7th Prime Minister in India)

राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था यह इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बड़े पुत्र और जवाहरलाल नेहरू के नाती थे। यह भारत देश के सातवें प्रधानमंत्री (Prime Minister) थे। राजीव गांधी का विवाह एंटोनिया माइनो से हुआ था जो एक इटली की नागरिक थी। विवाह के बाद एंटोनिया माइनो ने अपना नाम बदलकर सोनिया गांधी कर लिया। यह भी कहा जाता है कि जब राजीव गांधी अपनी शिक्षा के लिए कैंब्रिज पढ़ने गए थे।

सन 1968 में शादी के बाद सोनिया गांधी भारत में ही रहने लगी। इसके बाद इन दोनों के दो बच्चे हुए जिसमें राहुल गांधी का जन्म सन 1970 में हुआ और प्रियंका गांधी का जन्म सन 1972 ईस्वी में। राजीव गांधी एयरलाइन पायलट की नौकरी नौकरी करते थे उनकी राजनीति में कोई भी रुचि नहीं थी। लेकिन सन 1980 में एक हवाई दुर्घटना में संजय गांधी की आकस्मिक मृत्यु हो जाने के बाद अपनी मां इंदिरा गांधी जी को सहयोग देने के लिए इन्होंने सन 1981 में राजनीति में प्रवेश लिया।

इसके बाद वे अमेठी से लोकसभा का चुनाव लड़े जिसमें जीत हासिल करने के बाद यह वहां के सांसद बने। जब 31 अक्टूबर 1984 को अपने ही अंग रक्षकों द्वारा प्रधानमंत्री (Prime Minister) इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई तब उसके बाद वे भारत के प्रधानमंत्री (Prime Minister) बने और अगले आम चुनाव में सबसे अधिक जनता का बहुमत पाकर आगे भी प्रधानमंत्री (Prime Minister) बने रहे। भारत में राजीव गांधी को सूचना क्रांति का जनक माना जाता है। देश में कंप्यूटराइजेशन और टेलीकम्युनिकेशन क्रांतिकारी राजीव गांधी को ही जाता है।

राजीव गांधी नहीं स्थानीय स्वराज्य संस्था में महिलाओं को 35% रिजर्वेशन दिलवाने का काम किया। यही नहीं मतदाता की उम्र 21 वर्ष से घटाकर के 18 वर्ष के युवाओं को चुनाव में वोट देने का अधिकार भी राजीव गांधी ने ही दिलवाया। 21 मई सन 1991 को जब राजीव गांधी चुनाव का प्रचार कर रहे थे तभी “लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम” नाम के आतंकवादी संगठन के आतंकवादियों ने 21 मई सन 1991 को राजीव गांधी की एक बम विस्फोट में हत्या कर दी।

विश्वनाथ प्रताप सिंह (8th Prime Minister in India)

विश्वनाथ प्रताप सिंह का जन्म भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयागराज जिले में एक राजपूत जमींदार परिवार में 25 जून 1931 को हुआ था। विश्वनाथ प्रताप सिंह जी राजा बहादुर राय गोपाल सिंह के पुत्र थे। विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत देश के आठवें प्रधानमंत्री (Prime Minister) थे। इनका विवाह 25 जून सन 1955 को अपने जन्मदिन के मौके पर सीता कुमारी के साथ हुआ था। जिसके बाद इन्हें दो पुत्रों की प्राप्ति हुई थी।

विश्वनाथ प्रताप सिंह जी ने ही इलाहाबाद में गोपाल इंटरमीडिएट कॉलेज की स्थापना की थी। इनका अध्ययन इलाहाबाद और पुणे विश्वविद्यालय से संपन्न हुआ था। यह 1947- 1948 में बनारसी के उदय प्रताप कॉलेज में विद्यार्थी यूनियन के अध्यक्ष भी रहे। यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्टूडेंट यूनियन में उपाध्यक्ष भी रहे। सन 1957 में हुए भूदान आंदोलन में इन्होंने एक बहुत ही सक्रिय भूमिका निभाया था।

विश्वनाथ प्रताप सिंह जी ने अपनी सभी जमीनों को दान में दे दिया था। इसके बाद इनका पारिवारिक विवाद हुआ जो कि न्यायालय में जा पहुंचा था। विश्वनाथ प्रताप सिंह जी इलाहाबाद के अखिल भारतीय कांग्रेस समिति में अधिशासी प्रकोष्ठ के सदस्य भी रहे थे। इनको इनके विद्यार्थी जीवन में ही राजनीति में दिलचस्पी हो गई थी। इनके समृद्ध परिवार से होने के कारण इनको युवा काल में ही राजनीति में सफलता प्राप्त हो गई थी और इनका संबंध कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ गया।

1969- 1971 में यह उत्तर प्रदेश विधानसभा तक पहुंचे तथा इन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यभार भी संभाला। इनका मुख्यमंत्री काल 9 जून 1980 से 28 जून 1982 तक रहा। इसके बाद यह 29 जनवरी सन 1983 को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री बने। यह राज्यसभा सदस्य भी रहे। 31 दिसंबर सन 1984 को यह भारत के वित्त मंत्री बनाए गए। जब राजीव गांधी सरकार का पतन हुआ तो विश्वनाथ प्रताप सिंह ने आम चुनाव के माध्यम से 2 दिसंबर 1989 को इस पद को प्राप्त किया।

1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी क्षति उठानी पड़ी थी क्योंकि कांग्रेस को सिर्फ 197 सीटें ही प्राप्त हुई थी विश्वनाथ प्रताप सिंह के राष्ट्रीय मोर्चा को 146 सीटें प्राप्त हुई भाजपा और वामदलों ने यह विचार किया कि वह राष्ट्रीय मोर्चा को समर्थन देंगे उस समय भाजपा के पास 86 सांसद थे और वामदलों के पास 52 सांसद थे इस तरह से राष्ट्रीय मोर्चे को 248 सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो गया। इन्हें लगता था की इनके कारण है राजीव गांधी और कांग्रेस की पराजय संभव हो पाई है।

लेकिन देवीलाल और चंद्रशेखर भी इस प्रधानमंत्री (Prime Minister) की दौड़ में शामिल हो गए। ऐसे में विश्वनाथ प्रताप सिंह जी को प्रधानमंत्री (Prime Minister) पद दिया गया और देवीलाल को उप प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनाया गया। प्रधानमंत्री (Prime Minister)  पद को प्राप्त कर लेने के बाद इन्होंने सिखों के घाव पर मरहम लगाने के लिए स्वर्ण मंदिर की ओर दौड़ लगाया।विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत में पिछड़ी जातियों में सुधार करने की कोशिश के लिए प्रधानमंत्री जाने जाते हैं। 

चंद्रशेखर (9th Prime Minister in India)

इनका जन्म सन 1927 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में इब्राहिमपट्टी के एक किसान परिवार में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा भीमपुरा के रामकरन  इंटर कॉलेज से संपन्न हुई थी। इन्होंने अंबे की डिग्री इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हासिल की थी। इनको विद्यार्थी राजनीति में “फायरब्रांड” के नाम से भी जाना जाता था। विद्यार्थी जीवन के बाद यह समाजवादी राजनीति में सक्रिय हो गए।

ये भारत के ऊपरी सदन राज्यसभा में 1962 से 1977 तक सदस्य थे। सन 1984 में इन्होंने भारत में पदयात्रा की ताकि या भारत को अच्छे तरीके से समझने की कोशिश कर सकें। इनके इस कदम से इंदिरा गांधी को थोड़ी घबराहट हुई। 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बने तो इन्होंने जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को स्वीकार किया इन्होंने मंत्री पद को ग्रहण नहीं किया। 1977 में ही यह पहली बार बलिया जिले से लोकसभा के सांसद बने।

इन्होंने विश्वनाथ प्रताप सिंह के राजीनामा के बाद जनता दल से कुछ नेता लेकर समाजवादी जनता पार्टी की स्थापना की। उनकी सरकार को जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने समर्थन नहीं दिया तो इनके छोटे बहुमत की सरकार बन गई। जब कांग्रेस ने उनके सरकार को सहयोग नहीं दिया तब इन्होंने 60 सांसद के समर्थन के साथ अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी। 7 महीने तक प्रधानमंत्री के पद पर रहे चंद्रशेखर ने 6 मार्च 1991 में राजीनामा किया लेकिन इन्होंने राष्ट्रीय चुनाव तक प्रधानमंत्री (Prime Minister) का पद संभाला।

चंद्रशेखर अपने संसदीय वार्तालाप के लिए बहुत चर्चा में रहा करते थे। इन्हें सन 1995 में आउटस्टैंडिंग पार्लियामेंटेरियन अवार्ड भी दिया गया था।चंद्रशेखर जी लोकसभा के निचले सदन के सदस्य थे। इन्होंने यहीं पर समाजवादी जनता पार्टी का नेतृत्व भी किया था। सन 1977 से इन्होंने लोकसभा चुनाव आठ बार उत्तर प्रदेश के बलिया से जीता था। सन 1984 में इंदिरा गांधी (Prime Minister) की हत्या के बाद जो आक्रोश उपचार था इसके कारण उन्हें एक बार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

चंद्रशेखर जी को एक प्रकार का प्लाज्मा कोर्स कैंसर हुआ था। जिसके कारण 3 मई 2007 को इस रोग के इलाज के लिए गंभीर अवस्था में भर्ती कराया गया। लेकिन यह रोग इनका पीछा ना छोड़ सका और उनकी हालत और बिगड़ती गई और आखिर में 8 जुलाई को नई दिल्ली में अस्पताल में ही इनका देहावसान हो गया।

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पीवी नरसिम्हा राव (10th Prime Minister in India)

पीवी नरसिम्हा राव का पूरा नाम पति वेंकट नरसिंह राव था इनका जन्म सन 1921 मैं 28 जून को हुआ था लोग इन को भारत के दसवें प्रधानमंत्री (Prime Minister)  के रूप में जानते हैं। इनके प्रधानमंत्रित्व काल में ही लाइसेंस राज की समाप्ति और भारतीय अर्थ नीति में खुले पन का आरंभ हुआ। पीवी नरसिम्हा राव आंध्र प्रदेश के भी मुख्यमंत्री रहे।इनके प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनने के सफर में भाग्य ने उनका पूरा साथ दिया है। 21 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी।

इस स्थिति में कांग्रे स्कोर सहानुभूति की लहर के कारण निश्चय ही लाभ प्राप्त हुआ था। 1991 में जो आम चुनाव हुए थे उनको दो चरणों में कराया गया था। पहला चरण राजीव गांधी की हत्या से पहले हुआ था और दूसरा चरण राजीव गांधी की हत्या के बाद में हुआ था। अगर इन दोनों चरणों की बात करें तो प्रथम चरण की तुलना में द्वितीय चरण के चुनाव मैं कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था। दूसरे चरण के चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन का कारण राजीव गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर थी।

हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत तो नहीं प्राप्त हुआ था लेकिन वह 1 सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी। कांग्रेश द्वारा 232 सीटों पर विजय प्राप्त किया गया था। इसके बाद नरसिम्हा राव जी को कांग्रेस संसदीय दल का नेतृत्व दिया गया था। ऐसे में उनके द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश किया गया लेकिन सरकार अल्पमत में थी। लेकिन कांग्रेसका रा बहुमत को साबित करने के लिए सांसद जुटा लिया गया और कांग्रेस सरकार ने अपने 5 वर्ष का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण किया।

नरसिम्हा राव जी ने देश की कमान काफी मुश्किल समय में संभाली थी। क्योंकि उस समय भारत देश का विदेशी मुद्रा भंडार चिंतनीय स्तर तक कम हो गया था और इतना ही नहीं देश को अपना सोना गिरवी तक रखना पड़ा था। तब इन्होंने रिजर्व बैंक के अनुभवी गवर्नर डॉ मनमोहन सिंह जी को वित्त मंत्री बनाया और देश को आर्थिक भवर से बाहर निकाला।

अटल बिहारी बाजपेई (11th Prime Minister in India)

श्री अटल बिहारी वाजपेई का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था यह भारत के तीन बार प्रधानमंत्री (Prime Minister)  रह चुके थे। इनका प्रधानमंत्री (Prime Minister)  बनने का सफर 16 मई से 1 जून 1996 तक रहा इसके बाद 1998 में फिर 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक रहा। यह एक हिंदी कवि भी थे और साथ में पत्रकार और एक प्रखर वक्ता भी थे। भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में अटल बिहारी वाजपेई भी एक थे और 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी बने रहे।

इन्होंने राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से लिन अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया। यह चार दशक से भारतीय संसद के सदस्य भी थे यह लोकसभा निचले सदन में 10 बार और राज्यसभा ऊपरी सदन में 2 बार चुने गए थे। इन्होंने लखनऊ के लिए भी संसद सदस्य का कार्य किया। इन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के तौर पर और आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारंभ किया।

ऐसा करने वाले यह प्रथम वाजपेई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन अर्थात राजग सरकार के पहले प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनाए गए थे। जो कि गैर कांग्रेसी होते हुए भी अपने प्रधानमंत्री (Prime Minister) पद के 5 वर्ष बिना किसी समस्या के पूरे किए। इन्हें आजीवन विवाह ना करने के संकल्प के कारण भीष्म पितामह का भी दर्जा दिया गया। इनके द्वारा 24 दलों के साथ गठबंधन करा कर सरकार बनाया गया जिसमें 81 मंत्री शामिल थे।

सन 2005 में इन्होंने राजनीति से संयास ले लिया और नई दिल्ली में 61 कृष्णा मेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहने लगे। 16 अगस्त सन 2018 को एक लंबी बीमारी से ग्रसित होने के कारण अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली में इन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। इन्होंने अपना पूरा जीवन भारतीय राजनीति को दे दिया।

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एच डी देवगौड़ा (12th Prime Minister in India)

H. D. Deve Gowda

एच डी देवगौड़ा का पूरा नाम हरदान हल्ली डोडेगौडा देवगौड़ा था। इनका जन्म 18 मई सन् 1933 को हॉलनसारिपीली तालुक नाम के एक गांव में हुआ था जोकि मैसूर के पूर्व साम्राज्य जिसे अब हसन कर्नाटक में स्थित एक वोक्कालीगा जाति परिवार है जिसे भारत सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया है। इनके पिता का नाम डोदे गौड़ा था जो कि पेशे से एक किसान थे और इनकी माता का नाम देवम्मा था।

1950 दशक के अंत में इन्होंने एलबी पॉलिटेक्निक, हसन से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया। अपने युवा काल में इन्होंने अपने पिता की किसानी में मदद भी की। इन्होंने 1953 में राजनीति में प्रवेश करने से पहले कुछ समय के लिए ठेकेदार के रूप में भी काम किया। इनकी पत्नी का नाम चेन्नम्मा था इनके साथ उन्होंने 1954 में विवाह किया था। जिससे इनको 6 बच्चों की प्राप्ति हुई थी जिसमें दो बेटियां एचडीडी रेवन्ना और एचडीडी कुमार स्वामी थी और चार बेटे थे।

एच डी देवगौड़ा सन 1953 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और 1962 तक यह उस पार्टी के सदस्य बने रहे। इसके दौरान यह हॉलनसारिपीली के अंजनी सहकारी सोसाइटी में अध्यक्ष बने रहे तथा बाद में होलेनारसीपुरा के ताल्लुक विकास बोर्ड के सदस्य बन गए। 1962 में यह हालनरसीपुरा निर्वाचन क्षेत्र से सन 1962 में कर्नाटक विधानसभा में चुने गए। इसके बाद वे उसी निर्वाचन क्षेत्र में 1962 से लेकर के सन 1989 तक लगातार 6 बार विधानसभा में निर्वाचित हुए।

जब कांग्रेस का विभाजन हुआ तो इसके दौरान वे कांग्रेस (ओ) में शामिल होकर 1972 मार्च से 1976 मार्च तक विधानसभा में विपक्षी नेता के रूप में कार्य किए। जब भारत में 1975 से 1977 के बीच आपातकाल लागू किया गया तब बेंगलुरु के सेंट्रल जेल में उन्हें डाल दिया गया। यह भारत के 12वें प्रधानमंत्री  (Prime Minister) थे। इनका कार्यकाल 1996 से सन 1997 तक ही रहा। इसके पहले वे कर्नाटक राज्य के 1994 से 1996 तक मुख्यमंत्री भी बने रहे। 

इंदर कुमार गुजराल (13th Prime Minister in India)

इंदर कुमार गुजराल जिन्हें लोग I.K गुजराल भी कहते हैं। इनका जन्म 4 दिसंबर 1919 को झेलम में हुआ था। इनके पिता का नाम अवतार नारायण और माता का नाम पुष्पा गुजराल था। इन्होने अपनी शिक्षा डीएवी कॉलेज, हेली कॉलेज ऑफ कॉमर्स तथा फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज लाहौर से पूरी की। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में यह अपने युवावस्था में ही शामिल हो गए थे। सन 1942 में “अंग्रेजों भारत छोड़ो” अभियान के दौरान इन्हें जेल भी जाना पड़ा।

इन्हें हिंदी उर्दू और पंजाबी भाषाओं के साथ-साथ कई और भाषाओं की भी अच्छी जानकारी थी और साथ ही में यह शेरो शायरी का भी शौक रखते थे। इंदर कुमार गुजराल की पत्नी श्रीमती शीला गुजराल का निधन 11 जुलाई 2011 को हुआ था। इनके दो पुत्र हैं जिनमें नरेश गुजराल राज्यसभा के सदस्य हैं और इन के दूसरे बेटे का नाम विशाल गुजराल है। इंद्र कुमार गुजराल के छोटे भाई सतीश गुजराल एक बहुत बड़े और नामचीन चित्रकार तथा वास्तुकार भी हैं।

इंदर कुमार गुजराल जी ने 30 नवंबर 2012 को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली और दुनिया को अलविदा कह गए।

मनमोहन सिंह (14th Prime Minister in India)

मनमोहन सिंह जी का जन्म 26 सितंबर 1932 को ब्रिटिश भारत अर्थात वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था। इनके पिता का नाम गुरमुख सिंह और इनकी माता श्री का नाम अमृत कौर था। जब देश का विभाजन हुआ तो उसके बाद इनका परिवार भारत चला आया। यहां इन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अपने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इनकी पत्नी का नाम श्रीमती गुरुशरण कौर है और सिंह जी की तीन बेटियां है।

इसके बाद भी अपने आगे की पढ़ाई के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गये जहां पर इन्होंने अपनी पीएचडी पूरी की। इसके बाद इन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डी. फील की भी डिग्री हासिल की। इनके द्वारा एक बुक लिखा गया जिसका नाम “इंडिया एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रॉस्पेक्टस फॉर सेल्फ सस्टैंड ग्रोथ” था। इस पुस्तक को भारत की अंतर्मुखी व्यापार नीति की पहली और सबसे सटीक आलोचना मानी जाती है।

डॉ मनमोहन सिंह ने एक अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की है। यह पंजाब यूनिवर्सिटी और बाद में प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्राध्यापक भी रहे। इस बीच मनमोहन जी संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास समामेलन सचिवालय में सलाहकार के तौर पर भी रहे। डॉ मनमोहन सिंह 1987 और 1990 में जिनेवा के साउथ कमीशन में मंत्री (सचिव) भी रहे। भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में सन 1971 को डॉ मनमोहन सिंह को आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया गया।

इसके बाद मनमोहन सिंह जी को वित्त मंत्रालय में सन 1972 को आर्थिक सलाहकार बनाया गया। इसके बाद के वर्षों में वे रिजर्व बैंक के गवर्नर, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, आर्थिक सलाहकार प्रधानमंत्री (Prime Minister), और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे।भारत के आर्थिक इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब डॉक्टर मनमोहन सिंह को 1991 से लेकर 1996 तक भारत का वित्त मंत्री बनाया गया। डॉक्टर साहब को भारत के आर्थिक सुधारों का प्रणेता (Pioneer) माना गया है।

राजीव गांधी के शासनकाल में सन 1985 को मनमोहन सिंह को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर मनमोहन सिंह ने 5 वर्षों तक काम किया जबकि 1990 में इन्हें प्रधानमंत्री (Prime Minister) का आर्थिक सलाहकार बनाया गया। जब पी. वी. नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तब इन्होंने मनमोहन सिंह को 1992 में अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया और वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंप दिया। लेकिन उस समय डॉ मनमोहन सिंह ना ही राज्यसभा के सदस्य थे और ना ही लोकसभा के।

लेकिन संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सरकार के मंत्री को संसद का सदस्य होना बेहद जरूरी होता है इसलिए सन 1991 में मनमोहन सिंह जी को असम से राज्यसभा के लिए चुना गया।इन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाजार के साथ जोड़ा तथा आर्थिक उदारीकरण को उपचार के रूप में प्रस्तुत किया। मनमोहन सिंह ने आयात और निर्यात के कार्य को भी सरल बनाया। इन्होंने निजी पूंजी को उत्साहित करके और घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों के बढ़ाने के लिए अलग से नीतियां बनाई।

इनके द्वारा बनाई गई जब अर्थव्यवस्था घुटनों पर चल रही थी तब इन्हें पीवी नरसिम्हा राव के कटु आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। विपक्षी दल भी उन्हें नए आर्थिक प्रयोग से सावधान कर रहा था। लेकिन राव जीने मनमोहन सिंह पर पूरा यकीन रखा और 2 वर्ष बीतते ही आलोचकों के मुंह बंद हो गया और उनकी आंखे खुल गई। क्योंकि उदारीकरण के बेहतरीन परिणाम अर्थव्यवस्था में नजर आने लगे थे। भारतीय अर्थव्यवस्था को सही रास्ते पर लाने के लिए एक गैर राजनीतिक व्यक्ति जो कि अर्थशास्त्र का प्रोफेसर था उसका राजनीति में प्रवेश कराया गया।

नरेंद्र मोदी (15th Prime Minister in India)

भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री (Prime Minister) श्री नरेंद्र मोदी का पूरा नाम नरेंद्र दामोदरदास मोदी है जिनका जन्म 17 सितंबर 1950 को मुंबई राज्य के महेसाना जिला में बसे हुए वडनगर गांव में दामोदरदास मूलचंद मोदी और हीराबेन मोदी एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। नरेंद्र मोदी को मिलाकर उनके छह भाई बच्चे थे। जिसमें मोदी तीसरे स्थान पर आते थे। मोदी जी का परिवार मोघ – घांची – तेली समुदाय से आता था। जिसे भारत सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच जब द्वितीय युद्ध हुआ तब उन्होंने अपनी इच्छा से रेलवे स्टेशनों पर सफर कर रहे सैनिकों की सेवा की। अपने युवावस्था में इन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए। और इन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी नवनिर्माण आंदोलन में हिस्सा लिया। जब इन्होंने एक पूर्णकालिक आयोजक के रूप में कार्य किया इसके बाद इन्हें भारतीय जनता पार्टी के संगठन में प्रतिनिधि मनोनीत किया गया।

मोदी जी (Prime Minister) किशोरावस्था में अपने भाई के साथ एक चाय की दुकान चलाते थे इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वडनगर से पूरी करी। आर एस एस के प्रचारक रहते हुए इन्होंने गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में सन 1980 में पोस्ट ग्रेजुएशन की परीक्षा दी और साइंस पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। मात्र 13 वर्ष की कम आयु में इनकी सगाई जशोदाबेन चमन लाल के साथ कर दि गई इसके बाद 17 वर्ष की आयु में इनका विवाह कर दिया गया।

जिन्होंने नरेंद्र मोदी (Prime Minister) का जीवनी लिखा है उनका कहना है कि उन दोनों की शादी जरूर हुई परंतु वे दोनों कभी एक साथ नहीं रहे शादी के कुछ वर्षों बाद ही इन्होंने अपना घर त्याग दिया जिसके कारण इनका वैवाहिक जीवन लगभग समाप्त ही हो गया। इनकी वैवाहिक जीवन को त्यागने की बात पर चारों तरफ काफी चर्चा होने लगा पिछले 4 विधानसभा चुनाव में अपनी वैवाहिक जीवन पर हम खामोशी साधे हुए आखिर नरेंद्र मोदी ने क्या ही दिया की अविवाहित रहने की जानकारी देकर उन्होंने कोई पाप नहीं किया है।

नरेंद्र मोदी (Prime Minister) का कहना है कि शादीशुदा लोगों के मुकाबले एक अविवाहित व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे जोरदार तरीके से लड़ सकता है क्योंकि उसे अपनी पत्नी बाल बच्चों की कोई चिंता नहीं रहती है। लेकिन नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ पत्र पर जशोदाबेन मोदी को अपनी पत्नी स्वीकार किया है। 2001 में जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की सेहत बिगड़ने लगी भाजपा चुनाव इसको देख कर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को उम्मीदवार के तौर पर सामने लाए।

भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी मोदी द्वारा सरकार चलाने के अनुभव को लेकर काफी चिंतित थे।मोदी जी ने पटेल के उप मुख्यमंत्री बनने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और उन्होंने आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेई से यह कहा कि अगर उन्हें गुजरात की जिम्मेदारी देनी है तो पूरे तरीके से दें अन्यथा ना दे। 3 अक्टूबर 2001 को केशुभाई पटेल के जगह पर नरेंद्र मोदी जी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया और साथ ही उन पर दिसंबर 2002 में होने वाले चुनाव की पूरी जिम्मेदारी भी थी। 

गुजरात के 14 में मुख्यमंत्री बने और उनके काम करने के कुशलता को लेकर के गुजरात की जनता ने उन्हें लगातार चार बार मुख्यमंत्री चुना। गुजरात यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने वाले नरेंद्र मोदी को विकास पुरुष के नाम से भी जाना जाता है और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से उन्हें एक माना जाता है। टाइम पत्रिका ने 2013 के 42 उम्मीदवारों की सूची में मोदी को पर्सन ऑफ द ईयर शामिल किया है।

भारतीय जनता पार्टी ने मोदी जी के नेतृत्व में 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटों को हासिल करके अभूतपूर्व सफलता घोषित किया। इन्होंने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक बनारसी और अपने गृह राज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से एक सांसद के रूप में चुनाव लड़ा और वहां भी अपने जीत का परचम फहराया। मोदी जी के राज में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और बुनियादी सेवाओं पर तेजी से खर्च किया।

इनके द्वारा अफसरशाही में भी कई सुधार किया गया और योजना आयोग को हटाकर नीति आयोग का गठन किया गया। इसके बाद साल 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने मोदी के नेतृत्व में रहकर ही दूसरा चुनाव लड़ा और पहली बार से भी ज्यादा इस बार जीत हासिल की। पार्टी में कुल 303 सीटों पर जीत हासिल की और भाजपा के समर्थक दल यानी राजग को 352 सीटें प्राप्त हुई और नरेंद्र मोदी ने 30 मई 2019 को शपथ ग्रहण करके दूसरी बार प्रधानमंत्री (Prime Minister)  का पद संभाला।

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