What is Mehndi_मेहंदी क्या है ये कितने प्रकार के होते है मेहंदी का अंतर व प्रयोग:2022

 What is Mehndi_मेहंदी क्या है ये कितने प्रकार के होते है मेहंदी का अंतर व प्रयोग:2022

What is Mehndi_मेहंदी क्या है ये कितने प्रकार के होते है मेहंदी का अंतर व प्रयोग:

मेहँदी (Mehndi) हमारे यहाँ का बहुत पुराना रिवाज और प्राचीन कला है। इसके इतिहास के बारे में बात करें तो भारत में मेहँदी को लाने वाले मुगल थे। 12वीं शताब्दी ईस्वी में मेहँदी (Mehndi)  का प्रवेश भारत में हुआ। इस अवधि के दौरान शाही और समृद्ध लोग इस कला का उपयोग अपने हाथों को सजाने के लिए करते थे। इसका मूल मिस्त्र से हो सकता है क्योंकि यह मिस्त्र के विभिन्न कला रूपों में से एक था। 

मेहंदी क्या है:

मेहंदी (Mehndi) जिसे हिना भी कहते हैं, दक्षिण एशिया में प्रयोग किया जाने वाला शरीर को सजाने का एक साधन होता है। इसे हाथों, पैरों, बाजुओं आदि पर लगाया जाता है। 1990 के दशक से ये पश्चिमी देशों में भी चलन में आया है।

ऐसा माना जाता है कि भारत में मेहंदी  (Mehndi)  का आगाज 12वीं शताब्दी में मुग़ल सल्तनत के आगमन के साथ हुआ. मुग़ल रानियां मेहंदी से अपने हाथों को सजाना पसंद करती थीं और साथ ही वो इसके औषधीय गुणों और ठंडी तासीर से भी वाकिफ थीं। मुगलों की देखा-देखी कई हिंदू घरों में भी हाथों को मेहंदी (Mehndi) से सजाने का प्रचलन शुरू हुआ। 

मेहंदी की शुरूवात कब हुई?

मूल मेहंदी (Mehndi) का उपयोग पहली बार प्राचीन मिस्र में ममियों के लिए एक सजावटी के रूप में किया गया है। मेहंदी का उपयोग सजावटी कला के रूप में चौथी शताब्दी के भारत में उत्पन्न हुआ था। 

मेहदी को क्यों लगाया जाता हैं?

ऐसे में मेहंदी, जो ठंडक देती है, जब बॉडी पर रचाई जाती है तो इससे बॉडी टेम्पेरेचर कम होता है. इसी वजह से उन्हें हाथ और पैर में मेहंदी लगाई जाती है. इसके अलावा मेहंदी को प्यार की निशानी भी माना जाता है. कहते हैं कि मेहंदी (Mehndi) का रंग जितना लाल होता है, कपल के बीच उतना ही ज्यादा प्यार बढ़ता है। 

हर धर्म मे पवित्र है मेहंदी:

बता दें कि मेहंदी (Mehndi) ना सिर्फ हिंदू धर्म बल्कि मुस्लिमों में भी पवित्र मानी गई है. इसे पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी इस्तेमाल किया जाता है. कहते हैं कि पैगम्बर मुहम्मद ने अणि दाढ़ी में मेहंदी लगाई थी. इसी वजह से आज भी मुस्लिम अपनी दाढ़ी में इसका इस्तेमाल करते हैं. साथ ही पुराने समय में इसका इस्तेमाल इलाज में भी किया जाता था। 

मेहंदी का क्या फायेदा होता है?

गर्मी के मौसम में बालों में मेहंदी लगाने का दौर काफी बढ़ जाता है। क्यों की मेहंदी (Mehndi) बहुत ठण्डी होती है। इस मौसम में महिलाओं के साथ पुरुष भी बालों में मेहंदी लगाते हैं। क्योंकि मेहंदी लगाने से सिर में ठंडाई होने के साथ ही बालों का रंग भी सफेद से ब्राउन हो जाता है। इस कारण वह काले बालों में मिक्स होने से बालों की सफेदी को छुपा लेता है। लेकिन अगर आप भी बालों में मेहंदी लगाने के शौकीन हैं। तो कुछ बातों का ध्यान आपको जरूर रखना 

बालों में मेहंदी (Mehndi) लगाने से वे मजबूत हो जाते हैं। सिर को ठंडक मिलती है और बालों का कलर भी अच्छा हो जाता है। लोग इसमें मेहंदी के साथ आंवला, शिकाकाई, रीठा आदि चीजों का भी उपयोग करते हैं। लेकिन कुछ लोग मेहंदी में कई प्रकार के ऐसे पदार्थ भी मिला देते हैं। जिससे वह आपके बालों के लिए फायदा करने की अपेक्षा नुकसान करने लगती है। 

मेहंदी का रंग लाल क्यों चढ़ता है?

जब मेहंदी(Mehndi) के हरे पत्तों को पत्थर पर पीसकर हथेली पर लगाया जाता है तो सूखने के बाद हथेली पर उसका रंग लाल हो जाता है लेकिन पत्थर और धातु के उस बर्तन पर सूखने के बाद भी मेहंदी का रंग हरा ही बना रहता है। क्युकी 

मेहंदी के पत्तों में Lawsone या(2-hydroxy-1,4-naphthoquinone) पाया जाता है, जिसे hennotannic acid भी कहा जाता है। यह compound मनुष्य की त्वचा अथवा बालों के संपर्क में आते ही उसमें मौजूद केराटिन नाम के एक प्रोटीन से जुड़ जाता है। यही वजह से मेहंदी का रंग लाल हो जाता है। 

  1. भारतीय मेहंदी डिजाइन 

भारतीय मेहँदी (Mehndi) में सुंदर रूप से विभिन्न चीजों को शामिल किया जाता है। इस डिज़ाइन में आपको मोर, फूल पत्ते और अनोखे घुमावदार और घुँघराले पैटर्न देखने को मिलेंगे। दोनों हाथों पर हाथों की पूरी कवरेज के लिए, हाथों के आगे से लेकर पीछे तक एक लाइन की तरह डिज़ाइन बनाई जाती है। इस डिज़ाइन मे निकलते समय दो आकार के बीच ज्यादा जगह नहीं छोड़ी जाती, जिससे के यह डिज़ाइन बहुत भरा-भरा दिखाई देता है। भारतीय मेहँदी शैली में दुल्हन मेहँदी में हाथों को ढोलक, दूल्हा-दुल्हन की आकृति, पालकी, मंडप, कलश और शादी की रस्मों को दर्शाती हुई विभिन्न कलाकृति के साथ हाथों को सजाया जाता है।

  1. अरबी मेहंदी डिजाइन 

अरबी मेहंदी डिजाइन एक शैली है। जो अपनी गहरी लाइनों और आकारों के बीच ज्यादा जगह रखने के लिए जानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस शैली कि उत्पत्ति खाड़ी देशों में हुई है। यह भारतीय मेहँदी से बिलकुल अलग है, इसमें भारी कवरेज के विरुद्ध कम से कम बोल्ड कलाकृतियों को शामिल किया जाता है।

इसमें डिज़ाइन काफी नाजुक होता है लेकिन इसकी आउटलाइन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस शैली का मुख्य केंद्र इसमें बनाई जाने वाली लकीरे हैं। जिन लोगों को अपने हाथों पर भारी मेहँदी लगाना नहीं पसंद है उन्हें यह डिज़ाइन बहुत पसंद आता है।

  1. पाकिस्तानी मेहँदी डिजाइन 

पाकिस्तानी मेहँदी पाकिस्तानी मूल्यों पर ज्यादा बनाया जाता है। जबकि इसमें भारतीय शैली की तरह कैरी और पुष्प डिज़ाइन समान है लेकिन पाकिस्तानी मेहँदी में कलश, ढ़ोल, शहनाइयों के स्थान पर गुंबद और मस्जिद के दरवाजों की कलाकृति देखने को मिलती है। इस शैली में काली मेहँदी का प्रयोग भी किया जाता है जो कि ज़्यादातर आकार की रूपरेखा बनाने के लिए इस्तेमाल की जाती है। और हिना का प्रयोग आकार को सजाने के लिए किया जाता है। 

  1. हिंदू अरबी मेहँदी डिजाइन 

हिंदू अरबी मेहँदी डिजाइन जैसे कि इसका नाम है, इसमें भारतीय और अरबी, दोनों मेंहदी शैलियों का मिलान होता है। यह फ्यूजन आर्ट के सबसे खूबसूरत उदाहरणों में से एक है। इस शैली में भारतीय मेहँदी के पैटर्न का उपयोग किया जाता है और रूपरेखा अरबी मेहँदी की तरह गहरी की जाती है। भारतीय शादियों में दुल्हन को छोड़कर बाकी सब इसी शैली की मेहँदी अपने हाथों में लगाते हैं। क्योंकि इस शैली में हाथ न तो ज्यादा भरे हुए दिखाई देते हैं न ही ज्यादा खाली दिखाई देता है। 

  1. मोरक्कन मेहँदी डिज़ाइन

मोरक्कन मेहँदी डिज़ाइन को अपने यूनिसेक्स डिज़ाइन के लिए जाना जाता है। यह शैली का प्रयोग उन पुरुषों द्वारा भी किया जाता है जो मेहँदी टैटू में रुचि रखते हैं। मेहँदी शैली के इस प्रकार में ज्यामितीय आकार (जैसे त्रिकोण, चौकोन, गोलाकार), पारंपरिक जनजातीय पैटर्न, हीरे के आकार और प्रमुख बिन्दु शामिल है। दोनों हाथों में एक समान डिज़ाइन बनाना इस मेहँदी की खासियत है।

  1. मुगलई मेहँदी डिज़ाइन 

मुगलई मेहँदी डिज़ाइन यह मेहँदी का डिज़ाइन सबसे पुराना और पारंपरिक माना जाता है। इस शैली में हथेली के केवल एक छोटे से भाग को खाली रखा जाता है। पहले इसमें मुग़लों द्वारा बनाए गए मंदिरों और गुंबद के आकार को बनाया जाता था। समय परिवर्तन के कारण अब इसमें फूल, पत्तियाँ और कैरी के आकार को भी शामिल किया जाने लगा। मुगलई मेहँदी डिज़ाइन को कभी भी कोहनी की तरफ आगे से नहीं बनाए जाता।

इन सब शैलियों के अतिरिक्त वेस्टर्न मेहँदी, ग्लिटर मेहँदी, फ्लोरल मेहँदी, टैटू मेहँदी और भी कई अन्य प्रकार के नवीन डिज़ाइन देखने को मिलते है। 

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