पहली बार चांद की मिट्टी पर उगाए पौधे… एस्ट्रोनॉट्स चंद्रमा पर कर सकेंगे खेती। 

 पहली बार चांद की मिट्टी पर उगाए पौधे… एस्ट्रोनॉट्स चंद्रमा पर कर सकेंगे खेती। 

पहली बार चांद की मिट्टी पर उगाए पौधे… एस्ट्रोनॉट्स चंद्रमा पर कर सकेंगे खेती।
Plants Grown in Lunar Soil: वैज्ञानिकों ने चांद की मिट्टी पर पौधे उगा लिए हैं. चांद की मिट्टी धरती की तरह उर्वरक नहीं होती, इसके बावजूद उस मिट्टी में कलियां खिलाना एक बड़ी उपलब्धि है.

यह भविष्य के मून मिशन पर भेजे गए एस्ट्रोनॉट्स के लिए खेती करने में मदद करेगा.
चांद पर इंसानी कॉलोनी बनाना अब आसान हो सकता है. क्योंकि कहीं भी शहर बनाने के लिए सबसे पहले जरूरी वस्तुओं में आता है खाना. अगर उस जगह की मिट्टी उर्वरक नहीं होगी तो फसल कहां से उगेगी. लेकिन वैज्ञानिकों ने अब चांद की मिट्टी में पहली बार पौधे उगाने की सफलता हासिल की है. यह काम आसान नहीं था लेकिन कर दिखाया.

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चांद पर भी फसल उगाना आसान नहीं होगा. क्योंकि वहां कि मिट्टी पथरीली है. लंबे समय की अंतरिक्षि यात्राओं के दौरान चांद पर ताजा खाना तो मिलेगा नहीं. आप धरती की मिट्टी तो लेकर जा नहीं सकते. लागत बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी. इसलिए अभी चांद की मिट्टी पर फसल उगाने की टेस्टिंग की गई।

पहली बार चांद की मिट्टी पर उगाए पौधे... एस्ट्रोनॉट्स चंद्रमा पर कर सकेंगे खेती। 

382 किलोग्राम मिट्टी आई थी चांद से

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के अपोलो मिशनों के दौरान कुल मिलाकर 382 किलोग्राम पत्थर चांद से धरती पर लाए गए थे. नासा ने उन पत्थरों को वैज्ञानिकों में बांट दिया. लेकिन ये नहीं पता था कि ये मिट्टी कितने सालों में खत्म होगी. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि अर्टेमिस मिशन्स (Artemis Missions) के दौरान अमेरिका चांद से और मिट्टी लाने की प्लानिंग कर रहा है।
खैर, अभी चांद की जिस मिट्टी में पौधे उगाए गए हैं, वो दो वैक्यूम सील्ड डिब्बों में चंद्रमा से जमीन पर लाए गए थे. इनके बारे में एक स्टडी।

सिर्फ 12 ग्राम मिट्टी में उगाए गए पौधे

यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा में प्रोफेसर एना-लिसा पॉल ने कहा कि पहले भी चांद की मिट्टी में पौधे उगाए गए हैं. लेकिन वो इस तरह से नहीं उगाए गए. चांद की मिट्टी में किसी तरह के पैथोजेन नहीं होते. अन्य ऐसे पदार्थ नहीं होते…जो जमीनी जीवों और पौधों को नुकसान पहुंचाएं. पहले जो पौधे उगाए गए, उनमें चांद की मिट्टी सिर्फ छिड़की गई थी. इस बार सिर्फ चांद की मिट्टी में ही पौधे उगाए गए हैं.

एना-लिसा पॉल और प्रोफेसर रॉबर्ट फर्ल को 12 ग्राम चांद की मिट्टी मिली थी. 11 साल से लगातार प्रयोग करने के बाद पॉल और फर्ल ने यह सफलता हासिल की है. उन्हें अपोलो-11, 12 और 17 के मिशन से लाई गई मिट्टी मिली थी. लेकिन इतनी कम मात्रा में मिली मिट्टी में फसल उगाना बेहद मुश्किल काम था. लेकिन दोनों ने यह सफलता हासिल की।
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वैज्ञानिकों ने रच दिया नया इतिहास

पॉल और फर्ल ने मिलकर मिट्टी को चार अलग-अलग हिस्सों में बांटा. उसमें पानी और पोषक तत्वों वाला तरल पदार्थ डाला. जो चांद की मिट्टी में नहीं होता. इसके बाद उनमें आर्बिडोप्सिस (Arabidopsis) के बीज डाल दिए गए. कुछ दिनों के बाद बीज ने उस मिट्टी में पनपना शुरु कर दिया. इतनी कम मिट्टी में भी बीज का पौधा बनना आसान काम नहीं होता।

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