Quran burning incident in Sweden स्वीडन में क़ुरान जलाने की घटना बार-बार क्यों हो रही है

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Quran burning incident in Sweden स्वीडन में क़ुरान जलाए जाने के विवाद ने विदेशों में इसकी छवि पर बुरी तरह असर डाला है.
इस लेख में, हम स्वीडन में क़ुरान जलाने की घटना के विषय में चर्चा करेंगे और इस विवादित मुद्दे के पीछे के कारणों को समझेंगे। साथ ही, हम इस लेख में कई महत्वपूर्ण शब्द और उनसे सम्बंधित खोज शब्दों का उपयोग करेंगे जो सामग्री को वृद्धि देते हैं और सर्च इंजन अनुकूल बनाते हैं।

स्वीडन में क़ुरान जलाए जाने के विवाद ने विदेशों में इसकी छवि पर बुरी तरह असर डाला है
सिक्युरिटी सर्विस सैपो ने चेतावनी दी है कि इसकी वजह से देश में सुरक्षा के हालात काफी ख़राब हुए हैं. इस मुद्दे ने स्वीडिश लोगों को पशोपेश में डाल दिया है, क्योंकि यहां बोलने की आज़ादी का ऐतिहासिक और बुनियादी अधिकार 1766 से ही है।
स्वीडन के संविधान में हर उस मामले में बोलने की आज़ादी का अधिकार दिया गया है जिसमें धार्मिक संदेशों पर सवाल उठाने से लेकर ऐसे सवाल करना भी शामिल है जिसे आस्थावानों को ठेस पहुंचाने वाला माना जाता है। वो क़ानून जो देता है बोलने की आज़ादी स्वीडन के प्रशासनिक क़ानूनों में बोलने की आज़ादी को बहुत महत्व दिया गया है। इस देश ने अपने ईशनिंदा क़ानून को भी 1970 के दशक में ही रद्द कर दिया था।
इसके संविधान में हर उस मामले में बोलने की आज़ादी का अधिकार दिया गया है जिसमें धार्मिक संदेशों पर सवाल उठाने से लेकर ऐसे सवाल करना भी शामिल है जिसे आस्थावानों को ठेस पहुंचाने वाला माना जाता है। सैपो ने स्वीडन के पांच चरणों वाले चरमपंथी ख़तरे को लेवल-3 पर ला दिया है. सैपो का कहना है कि स्वीडन में पांच चरणों वाले चरमपंथी ख़तरे को लेवल-3 पर ला दिया गया है, जिससे कि सुरक्षा पुलिस इस समय स्वीडन और स्वीडिश हितों पर सीधे हमले के ख़तरों से जूझ रही है। यह विवादित मुद्दा स्वीडिश लोगों के बीच विचार