ताजमहल विवाद | TAJMAHAL CONTROVERSY | 2022

 ताजमहल विवाद | TAJMAHAL CONTROVERSY | 2022

ताजमहल विवाद | TAJMAHAL CONTROVERSY | 2022

काफी टाइम से ताजमहल (TAJMAHAL) पर विवाद  चल रहा है।  लोग कह रहे है जिसे आज ताजमहल कहा जा रहा है वो पहले तेजो महल था या तेजो महालय था। लोगो का कहना है की भगवान शिव के मंदिर को तोड़कर शाहजहाँ ने ताजमहल बनवाया था।

एलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है जिसमे ताजमहल के  22 कमरों को खुलवाने की मांग की गयी है ,लोगो का कहना है की इन कमरों में प्राचीन शिवलिंग हो सकता है।  ये कमरे ताजमहल (TAJMAHAL) के नीचे  है जहाँ  किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है और ये इन कमरों को आखिरी बार 1934 में 88 साल पहले अंग्रेजो ने खोला था और तबसे ये कमरे बंद है।

बता दें की याचिका दायर करने वाले डॉ रजनीश सिंह बीजेपी के अयोध्या जिले के मीडिया प्रभारी है। याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट में रूद्र विक्रम सिंह प्रतिनिधित्व कर रहे है। रजनीश सिंह का कहना है की ताजमहल (TAJMAHAL) परिसर में 22 कमरे ऐसे है जो हमेशा बंद रहते है ऐसा भी हो सकता है की उन कमरों में हिन्दू देवी देवताओं की मुर्तिया हो। इसलिए इन कमरों को खोलने की इजाजत दी जाये जिससे ये साफ हो जाये की वहाँ सच में हिन्दू मुर्तिया है या नहीं  लेकिन इस याचिका को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 12 मई को ख़ारिज कर दिया।

इन्ही सब के बिच ASI (Archeological survey of india) ने अपने वेबसाइट पर कुछ फोटोज शेयर की है जिसे पब्लिक जब चाहे तब देख सकती है। ASI  ने ऑफिशियली स्टेटमेंट भी दिया है की इन कमरों में ऐसा कोई सीक्रेट्स नहीं है , ये सिर्फ स्ट्रक्चर के पार्ट है।  और साथ में ये भी कहा है की ये पिक्चर्स ताजमहल के मरम्मत के वक्त ली गयी है।

ताजमहल विवाद | TAJMAHAL CONTROVERSY | 2022

हाईकोर्ट ने ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की मांग पर सुनवाई करते हुए कहा था की “आप एक कमिटी के माध्यम से तथ्य की मांग कर रहे है ,आप कौन होते है यह आपका अधिकार नहीं है और न ही यह RTI (RIGHT TO INFORMATION) अधिनियम के दायरे में है , हम आपके दलील से सहमत नहीं है”।

इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने याचिका ख़ारिज करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार भी लगायी और कहा की ” पहले M.A करो ,फिर NET JRF करके PHD करना इसी टॉपिक पर कोई करने न दे तो आकर हमसे कहना ,तुम आज ताजमहल (TAJMAHAL) के कमरे खुलवा रहे हो कल जजेस के चैम्बर खुलवाओगे। जनहित याचिकाओं का मजाक मत बनाओ। ड्राइंग रूम में यही बहस करने के लिए जरूर आना ,लेकिन कोर्ट का समय बर्बाद ना करो। ऐसे विवाद चार दीवारी में चर्चा करने के लिए है ना की कोर्ट में , कोर्ट का काम ऐतिहासिक तथ्वों की तस्दीक और रिसर्च करना नहीं है। ये काम ऐतिहासिक तथ्यों के स्पेशलिटी और ऐतिहासकारो पर ही छोड़ देना चाहिए। ”

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ऐसा पहली बार नहीं है की ताजमहल (TAJMAHAL) को लेकर लोगो ने सवाल किये है इससे पहले भी ताजमहल (TAJMAHAL) का मामला काफी बार सुर्ख़ियों में रहा है ,आपको बता दे की-:

  • 1965 में इतिहासकार P.N Oak ने अपने किताब ‘Taj mahal :The True Story ‘में ताजमहल की जगह शिव मंदिर होने की बात  कही थी। इनका कहना था की ताजमहल का नाम पहले शिव मंदिर के नाम पर ‘तेजो महालय ‘ था।
  • 2015 में आगरा के सिविल कोर्ट में ताजमहल को तेजो महालय मंदिर घोसित करने की याचिका भी दायर हुयी  थी।
  • 2017 में बीजेपी सांसद विनय कटियार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से ताजमहल को तेजो महल घोसित करने की मांग भी की थी।

और एक बार फिर ये मामला सामने आया है,  लेकिन इस बार हाईकोर्ट ने मामला ख़ारिज करते हुए इस मामले को ख़त्म भी कर दिया है

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