सोशल मीडिया साइट्स को आपराधिक मामलों में आरोपी क्यों नहीं बनाया जा सकता

 सोशल मीडिया साइट्स को आपराधिक मामलों में आरोपी क्यों नहीं बनाया जा सकता

तमिलनाडु पुलिस द्वारा दायर एक याचिका में जस्टिस बी पुगलेंधी के समक्ष सुनवाई के लिए आए YouTuber Saattai Duraimurugan को दी गई जमानत को रद्द करने की मांग की गई थी.

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने कल तमिलनाडु सरकार और राज्य पुलिस से जवाब मांगा कि सोशल मीडिया कंपनियों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़े आपराधिक मामलों में आरोपी या उकसाने वाले के रूप में क्यों शामिल नहीं किया जा सकता. यह तमिलनाडु पुलिस द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में आया है, जिसमें जस्टिस बी पुगलेंधी के समक्ष सुनवाई के लिए आए YouTuber Saattai Duraimurugan को दी गई जमानत को रद्द करने की मांग की गई थी.

न्यायमूर्ति बी पुगलेंधी ने कहा कि टेक्नोलोजी के दुरुपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती है और पुलिस से कहा कि वह एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे कि YouTuber दुरईमुरुगन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से वीडियो प्रसारित करके कितना कमाते हैं.

न्यायाधीश ने दुरईमुरुगन के वकील से पूछते हुए कहा कि कई लोग पैसे कमाने के लिए मंच का दुरुपयोग कर रहे हैं और कुछ ने यह भी स्वीकार किया है कि उन्होंने यूट्यूब पर वीडियो के माध्यम से बंदूकें बनाना, लूटना जैसे अपराध करना सीखा है.

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