Company किसे कहते हैं तथा इसके विशेषताएं व प्रकार (2022)

 Company किसे कहते हैं तथा इसके विशेषताएं व प्रकार (2022)

दोस्तों आज हम आपको कंपनी (Company) के बारे में बताएंगे, की कम्पनी किसे कहते हैं इसकी क्या विशेषताएं हैं तथा कंपनी कितने प्रकार की होती है।

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2 कंपनी (Company) की विशेषताएं

कम्पनी (Company) किसे कहते हैं

कंपनी (Company) शब्द को अंग्रेजी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है व्यक्तियों का साथ या समूह। वास्तविकता में देखे तो कंपनी व्यक्तियों का समूह ही होता है जो किसी उद्देश्य, कार्य या व्यवसाय को करने के लिए एक साथ में आते है। लेकिन कंपनी के कानून के अनुसार कंपनी शब्द का अर्थ ऐसी कंपनियों या फिर व्यक्तियों के समूह से है जो कंपनी अधिनियम (Company Act) के अंतर्गत पंजीकृत हो (A Company Registered Under The Company Act)।

या फिर कंपनी का निर्माण संसद या विधान मंडल द्वारा पारित (Passed) अधिनियम (Act) के अन्तर्गत हुआ हो।

जब कंपनी रजिस्टर्ड हो जाती है तो इसका अस्तित्व इसके सदस्यों से अलग हो जाता है और कानून द्वारा इसे वैधानिक (Legal) या फिर क्रित्रिम व्यक्ति (Artificial Person) के रूप में मान्यता प्रदान किया जाता है। इसके भी कुछ अधिकार और कुछ दायित्व होते हैं।

Company की परिभाषा के संबंध में कुछ विद्वानों और न्यायाधीशों ने भी अपनी – अपनी राय दी है जो कुछ इस प्रकार है।

लॉर्ड न्यायधीश लिंडले ने कहा है कि कंपनी व्यक्तियों का एक समूह है जो मुद्रा या फिर मुद्रा के बराबर का अंशदान (Contribution) एक संयुक्त कोष (Joint Fund) में करते हैं और जिसका प्रयोग एक सामान्य उद्देश्य के लिए करते हैं।

“अर्थात लिंडले ने कंपनी को व्यक्तियों का समूह बताया है जो मुद्रा या फिर मुद्रा के बराबर का अंशदान एक संयुक्त कोष (Joint Fund) में करते हैं जिसका यूज़ वह कंपनी के किसी सामान्य उद्देश्य को पूरा करने के लिए करते हैं। सामान्य उद्देश्य से आशय ऐसे उद्देश्य से हैं जिसके लिए कंपनी का निर्माण हुआ है।”

प्रोफेसर हैने ने अपनी परिभाषा में कंपनी को विधान द्वारा निर्मित एक कृत्रिम व्यक्ति बताया है जिसका उसके सदस्य अर्थात कंपनी के सदस्यों से अलग और स्थाई अस्तित्व होता है तथा जिसके पास सार्व मुद्रा होती है।

सार्व मुद्रा से आशय,”कंपनी द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली आधिकारिक मुद्रा या मुहर से है जो कंपनी की सार्व मुद्रा होती है जिसे इंग्लिश में Company Seal, Corporate Seal या Common Seal कहते हैं।



कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2 और उप-धारा (20) के अनुसार “कंपनी का अर्थ एक ऐसी कंपनी से है जो इस अधिनियम या फिर किसी पिछले कंपनी कानूनी अधिनियम के अंतर्गत निगमित (Incorporated) है।

एक सीमित कम्पनी (Limited Company) दो प्रकार की होती है –

  1. गारंटी द्वारा सीमित कंपनी (Company limited by guarantee)
  2. अंशो द्वारा सीमित कंपनी (Company limited by Shares)

कंपनी (Company) की विशेषताएं

कंपनी की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं जो कुछ इस प्रकार है –

स्वैच्छिक एवं निगमित संस्था (Voluntary and Incorporated Association)

कंपनी की एक खास विशेषता यह होती है की कंपनी एक ऐच्छिक संस्था होती है अर्थात यह एक ऐसी संस्था होती है जिसे सदस्य अपनी स्वतंत्र इच्छा से बनाते हैं। ये कानून द्वारा निगमित संस्था होती है।

इसका समामेलन (Amalgamation) अधिनियम के अंतर्गत ही किया जाता है। बिना समामेलन के कंपनी का कोई अस्तित्व नहीं होता है और कानूनी तौर पर उसे कंपनी भी नहीं कहा जा सकता है।

कृत्रिम कानूनी व्यक्ति (Artificial Legal Person)

जब कंपनी का रजिस्ट्रेशन हो हो जाने पर कंपनी एक कृत्रिम कानूनी व्यक्ति बन जाता है। अर्थात यह अपने नाम से संपत्ति खरीद सकता है उसे अपने नाम से रख सकता है और जरूरत पड़ने पर उसे बेंच भी सकता है। और यही नहीं कंपनी अपने नाम से न्यायालय में मुकदमा भी कर सकता है और दूसरे अन्य व्यक्ति भी इसके नाम से इस पर मुकदमा कर सकते हैं।

कंपनी का कोई भौतिक अस्तित्व (Physical Existence) नहीं होता है। इसलिए आप इसे गुस्से में आक्रमण करके गिरा नहीं सकते हैं।

लेकिन फिर भी कानून द्वारा इसे एक प्राकृतिक व्यक्ति का दर्जा दिया जाता है और इसे कुछ अधिकार व दायित्व भी प्रदान किया जाता है।

कंपनी अधिनियम के प्रावधानों (Provisions of the Companies Act) का उल्लंघन करने पर इस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

अलग अस्तित्व का होना

जब कंपनी का रजिस्ट्रेशन हो हो जाने पर कंपनी का एक अलग अस्तित्व हो जाता है। कंपनी का अस्तित्व इसके सदस्यों के अस्तित्व से अलग होता है। यदि कंपनी के किसी सदस्य के पास कंपनी के सारे अंश हों तो भी कम्पनी का अस्तित्व कानून की दृष्टि से अलग होगा।

निरंतर चलने वाली

कंपनी एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया होती है अर्थात कंपनी के सदस्यों की आयु का कंपनी की आयु से कोई सम्बन्ध नहीं होता है।

यदि किसी सदस्य या फिर निदेशक की मृत्यु हो जाती है या कंपनी के सभी सदस्यों की मृत्यु, दिवालियापन, पागलपन या सेवानिवृत्ति हो जाती है तो भी कम्पनी की मृत्यु नहीं होती है।

इसलिए कंपनी को निरंतर चलने वाली प्रक्रिया कहा जाता है अर्थात कंपनी के सदस्य आए या जाए कंपनी सदा जीवित रहती है।

आप कंपनी को एक नदी के समान भी समझ सकते हैं जिस प्रकार नदी में पानी आता है और चला जाता है परंतु नदी कभी रुकती नहीं है। उसी प्रकार कंपनी भी निरंतर चलने वाली नदी के समान है जिसमें सदस्य आते और जाते रहते हैं परंतु कंपनी कभी किसी के लिए रुकती नहीं है वह हमेशा चलती रहती है।

आधिकारिक / सार्व मुद्रा या मुहर (Common Seal)

हमने ऊपर के लेख में आपको सार्व मुद्रा का मतलब बताया है। कंपनी एक कृत्रिम व्यक्ति होती है इसलिए  वह खुद कार्य नहीं कर सकती अतः वह प्राकृतिक व्यक्तियों के द्वारा अपने कार्यो को करती है।

कंपनी के निदेशक कंपनी की ओर से यदि कोई अनुबंध (Contract) करता है तो वो अनुबंध पे अपने हस्ताक्षर के साथ – साथ कंपनी के मुहर जिसे सार्व मुद्रा कहते हैं, उसे भी लगाता है।

सीमित दायित्वों (Limited Liabilities) का होना

सीमित दायित्वों का होना कंपनी की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है जिसके वजह से कंपनी का निर्माण किया जाता है। ऐसी कंपनियां जो अंशो (Shares) द्वारा सीमित दायित्वों (liabilities) वाली होती हैं उसमें प्रत्येक अंशधारी (Share Holder) का दायित्व उसके द्वारा लिए गये शेयर के अंकित मूल्य (Face Value) तक सीमित होता है।

उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति के पास 100 रुपए वाले 10 शेयर हैं और उसने उन शेयर पर 5 रुपए Per Share का भुगतान कर दिया है।

तो कम्पनी के समापन (Ending) की दशा मे उसका आधिकतम दायित्व बकाया (Arrears) रुपए 500 (10 × 50) होगा।



ऐसे ही गारंटी द्वारा सीमित कंपनी की दशा में प्रत्येक कंपनी के सदस्यों का दायित्व, कंपनी के समापन की स्थिति में जाने पर, उसके द्वारा दी गई गारंटी के अंशदान (Contribution) की राशि तक सीमित है इससे अधिक नहीं। कंपनी के जीवन काल में उसका दायित्व शून्य (0) होगा।

अंशो का हस्तांतरण (Transfer of Shares) होना

किसी भी कंपनी की प्रमुख विशेषताओं में से एक है अंशो का हस्तांतरण योग्य होना। किसी भी सार्वजनिक कंपनी के अंशों को आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित (Transfer) किया जा सकता है।

पृथक संपत्ति (Separate Property) का होना

जिस प्रकार कंपनी के सदस्यों का अस्तित्व कंपनी के अस्तित्व से अलग होता है उसी प्रकार कंपनी की संपत्ति उसके सदस्यों की संपत्ति से पृथक या अलग होती है। यू कह ले तो पृथक अस्तित्व का ही एक भाग है पृथक संपत्ति।

कंपनी की संपत्ति कभी भी सदस्यों की संपत्ति नहीं हो सकती हां यह कह सकते हैं की कंपनी के सदस्य कंपनी की पूंजी में अंशदान (Contribution) करते हैं। पर कोई भी सदस्य कंपनी के जीवन काल में या कंपनी का समापन हो जाने पर कंपनी की संपत्ति पर अपने स्वामित्व (Ownership)  का दावा नहीं कर सकता है।

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मुकदमा (Court case) करने की योग्यता ( Capacity to Sue)

किसी भी कंपनी का एक अलग अस्तित्व होता है इसलिए यह मुकदमा कर सकती है और इस पर इसके नाम से मुकदमा चलाया भी जा सकता है।

दोस्तों अब हम आपसे कंपनी के प्रकार के विषय में चर्चा करेंगे तो आइए जानते हैं कंपनी कितने प्रकार की होती है।

  • कंपनी निर्माण की विधि के आधार पर कंपनियों के नाम (names of companies based on the method of company formation)

  1. चार्टर्ड कंपनी (Charted Company)
  2. विशेष अधिनियम (Special Act) द्वारा निगमित कंपनियां 
  3. कंपनी अधिनियम (Company Act)  के अंतर्गत रजिस्टर्ड कंपनियां
  • दायित्व के आधार पर (on the basis of liability) कंपनियां 

  1. सीमित दायित्व (Limited Liabilities) वाली कंपनी

             A – अंशो द्वारा सीमित ( Limited by Shares) 

             B – गारंटी द्वारा सीमित (Limited by

      Guarantee)

      2 . असीमित दायित्व (Unlimited Liability) वाली कंपनी

  • सदस्यों की संख्या के आधार पर (on the basis of numbers of members) 

  1. निजी कंपनी (Private Company)
  2. सार्वजनिक कंपनी (Public Company)
  3. एक व्यक्ति वाली कंपनी (One Person Company) 
  • स्वामित्व के आधार पर (on the basis of ownership)

  1. सरकारी कंपनी (Government Company)
  2. गैर सरकारी कंपनी (Non Government Company)
  • इकाई के नियंत्रण के आधार पर (depending on the control of the unit)

  1. सूत्रधारी कंपनी (Producer Company)
  2. सहायक कंपनी (Subsidiary Company)
  • राष्ट्रीय हित के आधार पर On the basis of National Interest)

  1. भारतीय कंपनी (Indian Company)
  2. विदेशी कंपनी  (Foreign Company)
  • विविध प्रकार की कंपनियां (Diverse types of Companies)

  1. धर्मार्थ कंपनी (Charitable Company)
  2. बैंकिंग कंपनी (Banking Company)
  3. गैर – बैंकिंग वित्त संस्था (Non-Banking Finance Institution)
  4. बीमा कंपनी (Insurance Company)
  5. विद्युत कंपनी (Electric Company)
  6. अवैध संस्था (Illegal organization)
  7. उत्पादक कंपनी (Producer Company)
  8. निष्क्रिय कंपनी (Dormant Company)

यह भी पढें – Private limited Company किसे कहते हैं (2022)जाने हिंदी में

 

निष्कर्ष (Conclusion)

दोस्तों आज हमने आपको कंपनी के विषय में सभी जानकारी दी क्या होती है इसकी परिभाषा क्या है तथा इसके संबंध में विद्वानों ने अपने क्या मत दिए हैं।

हमने आपको कंपनी की कई सारी विशेषताओं के बारे में भी बताया जिससे आपको यह तो पता चल ही गया होगा कि कंपनी की क्या-क्या विशेषताएं हैं जैसे कंपनी एक ऐच्छिक एवं निगमित संस्था है, कंपनी एक कृत्रिम कानूनी व्यक्ति होता है, कंपनी का अस्तित्व उसके सदस्यों के अस्तित्व से पृथक होता है। 

अर्थात अलग होता है, कंपनी एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है अर्थात कंपनी में कोई भी आए कोई भी जाए इससे कंपनी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला कंपनी निरंतर चलती रहती है, कंपनी एक सीमित दायित्व वाली होती है हमने आपको सीमित दायित्व के दो प्रकार बताएं जिसमें पहला था अंशु द्वारा सीमित कंपनी और दूसरा था गारंटी द्वारा सीमेंट कंपनी, साथी हमने आपको कंपनी की एक प्रमुख विशेषता यह भी बताएं कि किसी भी कंपनी के अंश हस्तांतरण होने योग्य होने चाहिए सामान्यतः सार्वजनिक कंपनी के अंशों को बेहद आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर किया जा सकता है,

जिस प्रकार कंपनी का अस्तित्व उसके सदस्यों के अस्तित्व से पृथक होता है उसी प्रकार कंपनी की संपत्ति उसके सदस्यों की कंपनी से प्रथक होती है, कंपनी का एक अलग अस्तित्व होता है इस कारण कंपनी अपने नाम से मुकदमा भी दायर कर सकती है और इसके नाम पर मुकदमा चलाया भी जा सकता है।

दोस्तों हमने आप की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कंपनी की विशेषताओं का  एक संक्षिप्त वर्णन निष्कर्ष में कर दिया है अगर आपको कंपनी से संबंधित और भी कोई जानकारी चाहिए तो हमें कमेंट में जरूर बताएं हम पूरी कोशिश करेंगे अपने जवाब से आप को संतुष्ट करने की। और हमारे इस कंटेंट को अपने दोस्तों सहपाठियों और रिश्तेदारों में भी जरूर शेयर करें।

धन्यवाद!

 

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