ब्लैक होल क्या होता है || What is the Black Hole || क्या ब्लैक होल पृथ्वी को निगल सकता है (Can a Black Hole Swallow the Earth)?

 ब्लैक होल क्या होता है || What is the Black Hole || क्या ब्लैक होल पृथ्वी को निगल सकता है (Can a Black Hole Swallow the Earth)?
Contents hide

ब्लैक होल कैसे बनता है || How does a black hole form|| ब्लैक होल की खोज किसने की थी || Who discovered the black hole ||

ब्लैक होल  (Black Hole)

ब्लैक होल क्या होता है || ब्लैक होल कैसे बनता है || ब्लैक होल की खोज किसने की थी || what is a Black Hole || How does a black hole form || How big are black holes || Who discovered the black hole ||अंतरिक्ष सदा से वज्ञानिकों के लिए रहस्यों का खजाना रहा है। यूँ तो अंतरिक्ष अनंत है।

आज आधुनिक युग में हमारा विज्ञानं दुसरे ग्रहों पे जीवन की तलाश कर रहा है। चाँद और मंगल गृह तक मनुष्य पहुँच चूका है। वैज्ञानिक सदा से ही कुछ न कुछ तलाश करते ही आये है। अब जब  अंतरिक्ष के बारें में इतनी बात हो ही रही है तो ब्लैक होल (Black Hole) की चर्चा न हो भला ये कैसे हो सकता है। तो आइये हम बताते है ब्लैक होल के बारें में विस्तार से।

ब्लैक होल क्या होता है (what is a Black Hole) :-

ब्लैक होल (Black Hole) को हिंदी में कृष्ण विवर कहते है। ब्लैक होल (Black Hole) अंतरिक्ष में वो जगह है जहाँ भौतिक के किसी भी नियम का कोई प्रभाव नहीं होता। यहाँ पे समय और स्थान का कोई अर्थ नहीं है। यहाँ का गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली है की जिसकी कल्पना करना मुश्किल है।

ब्लैक होल में क्या होता है (what happens in a black hole) :-

ब्लैक होल (Black Hole)में गुरुत्वाकर्षण और अन्धकार के अलावा कुछ भी नहीं है। ब्लैक होल (Black Hole) चीजों के साथ साथ प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है। एक बार जो भी इसके अंदर गया वो फिर कभी बहार नहीं आ सकता।

इसको थोडा सरल ढंग से समझते है मान लीजिये आप टॉर्च से प्रकाश डालते है तो ये प्रकाश रिफ्लेक्ट करके हमारी आँखों पर आता है तभी हमे वो चीज़े दिखाई देती है। कल्पना कीजिये वो रौशनी रिफ्लेक्ट होक हमारी आँखों तक नहीं पहुंची तो वो जगह तब कला हो जायेगा या वहां पे अन्धकार छा जाएगा। तो वो स्थान ब्लैक होल (Black Hole) हो सकता है ऐसा ही कुछ स्पेस में भी होता है।

ब्लैक होल कैसे बनता है (How does a black hole form) :-

जब कोई विशाल तारा अपने अंत के तरफ बढ़ता है तो वह अपने में ही समाहित होने लगता है। धीरे धीरे कुछ समय बाद वो ब्लैक होल (Black Hole) में तब्दील हो जाता है। ब्लैक होल (Black Hole) परिवर्तित होने के कारण उसकी गुरुत्वाकर्षण की शक्ति इतनी जयादा बढ़ जाती है की उसकी प्रभाव क्षेत्र में आने वाला प्रत्येक ग्रह उसके और खिचाकर उसके अंदर समायोजित हो जाता है।

ब्लैक होल (Black Hole) इतना शक्तिशाली होता है की उसके प्रभाव क्षेत्र में आने वाले प्रत्येक चीजों को निगल जाता है। ब्लैक होल (Black Hole) के प्रभाव क्षेत्र को ही हराइज़न कहते है।  किसी भी चीज़ का गुरुत्वाकर्षण स्पेस को उसके पास लपेट देता है और उसे कर्व जैसे आकर दे देता है।

ब्लैक होल कितने बड़े हैं?(How big are black holes?)

Black Hole बड़े या छोटे हो सकते हैं। वैज्ञानिकों को लगता है कि सबसे छोटे Black Hole  सिर्फ एक परमाणु जितने छोटे होते हैं। ये ब्लैक होल बहुत छोटे होते हैं लेकिन इनका द्रव्यमान एक बड़े पर्वत के बराबर होता है। द्रव्यमान किसी वस्तु में पदार्थ, या “सामान” की मात्रा है।

एक अन्य प्रकार के Black Hole  को “तारकीय” कहा जाता है। इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 20 गुना अधिक हो सकता है। पृथ्वी की आकाशगंगा में कई तारकीय द्रव्यमान वाले Black Hole  हो सकते हैं। पृथ्वी की आकाशगंगा को मिल्की वे कहते हैं।

सबसे बड़े Black Hole  को “सुपरमैसिव” कहा जाता है। इन Black Hole में द्रव्यमान है जो एक साथ 1 मिलियन से अधिक सूर्य हैं। वैज्ञानिकों को इस बात का प्रमाण मिला है कि हर बड़ी आकाशगंगा के केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल होता है। आकाशगंगा के केंद्र में सुपरमैसिव ब्लैक होल को धनु A कहा जाता है। इसका द्रव्यमान लगभग 4 मिलियन सूर्य के बराबर है और यह एक बहुत बड़ी गेंद के अंदर फिट होगा जो कुछ मिलियन पृथ्वी को धारण कर सकती है।

ब्लैक होल की खोज किसने की थी ? (Who discovered the black hole?)

ब्लैक होल (Black Hole) की कल्पना सबसे पहले 1783 में की गयी थी। इसकी कल्पना जॉन मिचेल (John Michell) नाम के एक फिलोसोफर ने की थी। मिचेल ने ये देखा की तारें से जब रौशनी उत्तपन होती है तो वो गुरुत्वाकर्षण को पार करके कहीं दूर निकल जाती है।

मिसाल के तौर पे हमारे सूरज के पास भी अपना एक गुरुत्वाकर्षण बल होता है, जब सूरज से निकलने वाली रौशनी सूरज के गुरुत्वाकर्षण को भेद कर करीब 8 मिनट के बाद धरती पर पहुचती है, 8 मिनट का समय इसलिए लगता है क्यूंकि पृथ्वी से सूरज तक की दुरी करीब 150 लाख किलोमीटर है।

इस कांसेप्ट को समझने के लिए एक उदहारण से समझिये, मान लीजिये आप पृथ्वी से किसी भी वास्तु को आसमान की ओर फेके फिर वो वास्तु कुछ दूर ऊपर जाने के बाद तेज़ी से नीचे आ जाएगी ऐसा इसलिए होगा क्यूंकि पृथ्वी अपना गुरुत्वाकर्षण बल का उपयोग करके उस वस्तु को अपने तरफ खिचती है।

यही तरीका सूरज की रौशनी के साथ भी होता है। जॉन मिचेल (John Michell) ये मानते थे की अगर एक सितारे का गुरुत्वाकर्षण बल सूरज से 500 गुना बढ़ जाये तो रौशनी कभी भी इसको पार नहीं कर पायेगी तो इसका ये परिणाम होगा की सितारे से निकलने वाली रौशनी सितारे के अंदर ही मौजूद होगी उसी के अंदर रुक जाएगी बाहर नहीं निकल पायेगी।

रौशनी की रफ़्तार 3 लाख किलोमीटर होती है इतनी तेज़ गति होने बावजूद सितारे के गुरुत्वाकर्षण बल से बाख नहीं पाती। जब किसी सितारे से रौशनी न आये तो ये कहना मुमकिन ही नहीं की वहां को सितारा हो भी सकता है क्यूंकि पूरा सितारा अँधेरे में तब्दील हो चूका होता है।

उस समय में मिचेल की इस थ्योरी को किसी ने नहीं माना था क्यूंकि वो अपने वक़्त और उस समय में मौजूद टेक्नोलॉजी से बहुत आगे की सोच रखते थे। मिचेल ने उस सितारे को “डार्क स्टार” की संज्ञा दी थी।

ब्लैक होल (Black Hole) की खोज कार्ल स्क्वार्जस्चिल्ड और जॉन व्हीलर ने किया था

ब्लैक होल के सिद्धांत (Black Hole Theory)

ब्लैक होल पर अल्बर्ट आइंस्टीन का सिद्धांत

(Albert Einstein’s theory on Black Hole):-

अल्बर्ट आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत (Theory of General Relativity) को आइंस्टीन का गुरुत्वाकर्षण (Einstein’s theory of gravity) का सिद्धांत भी कहा जाता है। ये सिद्धांत 1916 में प्रकशित हुआ था।

अल्बर्ट आइंस्टीन का सिद्धांत ये कहता है की अंतरिक्ष की और किसी भी वस्तु की तरफ दिखने वाले गुरुत्वाकर्षण का असली कारण उसका द्रव्यमान और आकार होता है जो उसके आसपास के स्पेस-टाइन में गति पैदा कर देता है। ब्लैक होल (Black Hole) वैज्ञानिकों को गुरुत्वाकर्षण की चरम को द्देखने की अनुमति देता है जिसमें वैज्ञानिक ये खोज करते है की अल्बर्ट आइंस्टीन का सिद्धांत कितना सही है।

अल्बर्ट आइंस्टीन ने 100 साल पहले ही ब्लैक होल (Black Hole) के आकार के बारे में बता दिया था। ब्लैक होल (Black Hole) के प्रभाव में आने वाले क्षेत्र और वस्तुएं कैसे व्यवहार करती है इसे लेकर अल्बर्ट आइंस्टीन कई खगोलीय परिक्षण में सफल हो चुकी है।

सिरैक्यूज़ यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर डंकन ब्राउन ने हाल ही में बताया की अंतरिक्ष में हमारी आकशगंगा के केंद्र ब्लैक होल (Black Hole) की तस्वीर खीच पाना एक अविश्वसनीय कामयाबी है।

ब्राउन ने आगे कहा की यह तस्वीर हमारी आकाशगंगा के केंद्र में ब्लैक होल (Black Hole) के चारो तरफ घुमती गर्म गैसों को दिखाती है, गैस लगभग प्रकाश की गति से आगे बढ़ रही है।

ब्लैक होल पर स्टीफन हॉकिंग के सिद्धांत

(Stephen Hawking’s theories on black holes):-

यह सिद्धांत 1971 में स्टेफेन हाकिंग ने दिया था यह बताता है कि समय के साथ किसी भी ब्लैक होल (Black Hole) के आकार को कम करना संभव नहीं है. यह सिद्धांत अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत से प्रेरित है जो गुरुत्वाकर्षण तरंगों और ब्लैक होल (Black Hole) को परिभाषित करता है। हॉकिंग के लोकप्रिय सिद्धांतों में से एक इस सिद्धांत को दो ब्लैक होल के मिलन से बने स्पेस-टाइम रिपल्स या दिक-काल में बनी हिलोरों का अवलोकन करने के बाद सिद्ध किया जा सका।

हॉकिंग के अनुसार, ब्लैक होल रेडिएशन के चलते एक पूरी तरह से द्रव्यमान मुक्त होकर गायब हो जाता है ।

Hawking Radiation ,लैब में बनाया ब्लैक होल

(Hawking Radiation, a black hole created in the lab):-

स्टेफेन हाकिंग के सिद्धांत को असल में परखने के लिए लैब में ही ब्लैक होल (Black Hole) का निर्माण किया गया टेक्नियॉन-इजरायल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के रिसर्चर्स ने एक ब्लैक होल (Black Hole) ऐनलॉग बनाकर हॉकिंग रेडिएशन का परिक्षण किया और तक़रीबन 97 हज़ार बार प्रयोग करके उन्होंने स्टेफेन हाकिंग के सिद्धांत को सही माना।

लाइट बाहर नहीं जा सकती (the light can’t go out):-

स्टडी के सह-रिसर्चर जेफ स्टीनहॉर ने Phys.org को बताया, ‘एक ब्लैक होल (Black Hole) से किसी ब्लैक बॉडी की तरह इन्फ्रारेड रेडिएशन निकलना चाहिए। हॉकिंग ने कहा कि ब्लैक होल (Black Hole) आम सितारे की तरह हर वक्त रेडिएशन उत्सर्जित करते हैं।

हमने अपनी स्टडी में इसी की पुष्टि करना चाहते थे और हमने की है।’ ये माना जाता है ब्लैक होल (Black Hole) कुछ भी गया तो वापस नहीं आ सकता लेकिन स्टेफेन हाकिंग कहते है की क्वॉन्टम मकैनिक्स और वर्चुअल पार्टिकल्स के आधार पर बताया कि ब्लैक होल एक रोशनी उत्सर्जित कर सकते हैं।

ब्लैक होल का निर्माण लैब में कैसे हुआ (How Black Holes Formed in the Lab):-

वैज्ञानिकों ने रूबीडियम के 8000 ऐटम्स को absolute zero पर ठंडा करके लेजर बीम की सहायता से एक ब्लैक होल (Black Hole) बनाया। उन्होंने Bose-Einstein condensate (BEC) तैयार किए और एक दूसरी लेजर बीम की सहायता से टीम ने गैस के ऐटम्स को पानी की तरह कुछ ऐसे बहाया जैसे ब्लैक होल  (Black Hole) के event horizon पर होता है। गैस का आधा हिस्सा आवाज की गति से तेज था और एक हिस्सा आवाज की गति से धीमे।

महाविशाल ब्लैक होल्स (Supermassive Black Holes):-

मरते हुए सितारों के फटने या न्यूट्रॉन सितारों की टकराव से इन ब्लैक होल्स (Black Hole) का जन्म होता हैं और इनके कारण से स्पेस-टाइम परिवर्तित हो जाता है। इनका गुरुत्वाकर्षण बल इतना ज्यादा और शक्तिशाली होता है कि रोशनी तक इनसे बाहर नहीं आ सकती है। ऐस्ट्रोनॉमर्स ने एक मैप तैयार किया है जिसमें काले बैकग्राउंड पर एक सफेद डॉट से एक SBH (Supermassive Black Holes) को दिखाया गया है।

यह मैप ऐस्ट्रोनॉमी ऐंड ऐस्ट्रोफिजिक्स में प्रकाशित हुआ है। इसमें 25000 SBH (Supermassive Black Holes) दिख रहे हैं जबकि ब्रह्मांड में इससे बहुत ज्यादा SBH (Supermassive Black Holes) हैं। दरअसल, इस मैप का निर्माण करने वाली जानकारी उत्तरी गोलार्ध के आसमान के सिर्फ 4 प्रतिशत  हिस्से से लिया गया है।

वैज्ञानिकों ने आखिर 97 हज़ार बार प्रयोग क्यूँ किया (Why did scientists do the experiment 97 thousand times?):-

इस प्रयोग में वैज्ञानिको का पूरा ध्यान क्वॉन्टम साउंड वेव्स (phonon) पर केन्द्रित था। फोटॉन्स के जोड़ों पर जिनके अलग होने से हॉकिंग रेडिएशन पैदा होता है इसपर वज्ञानिको ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया था।

धीमी गति से चल रहे फोनॉन बहते पानी से दूर जाते हैं जबकि तेज गति से चल रहे फोनॉन सुपरसोनिक गैस की स्पीड में फंस जाते हैं।

वैज्ञानिक ये भी देखना चाहते थे की उनका रेडिएशन स्थिर रहता है की नहीं परन्तु उनका ब्लैक होल इतने में ही समाप्त हो जाता था। इसी कारण से वैज्ञानिकों के टीम ने 97 हज़ार बार प्रयोग किये। अंततः उन्हें वो परिणाम मिल गए जिनकी उन्हें तलाश थी। उन्होंने लगातार 124 दिन तक डाटा कलेक्ट किया और उन्होने ये पाया की स्टेफेन हाकिंग ने जो दावा किया था रेडिएशन स्थिर रखने का वो पूरी तरह सत्य साबित हुआ।

ब्लैक होल की पहली तस्वीर (first picture of black hole):-

The Event Horizon Telescope—a planet-scale array of ground-based radio telescopes—has obtained the first image of a supermassive black hole and its shadow. The image reveals the central black hole of Messier 87, a massive galaxy in the Virgo cluster. PHOTOGRAPH BY EVENT HORIZON TELESCOPE COLLABORATION
The Event Horizon Telescope—a planet-scale array of ground-based radio telescopes—has obtained the first image of a supermassive black hole and its shadow. The image reveals the central black hole of Messier 87, a massive galaxy in the Virgo cluster.
PHOTOGRAPH BY EVENT HORIZON TELESCOPE COLLABORATION

ब्लैक होल (Black Hole) की पहली तस्वीर दुनिया के सामने लाने का काम 2019 में EHT संगठन ने किया था। इस फोटो को M87 नाम दिया गया था। यह ब्लैक होल Messier 87 नाम गैलेक्सी के केंद्र में स्थित था।

ब्लैक होल मिल्की वे गैलेक्सी (black hole milky way galaxy):-

ब्लैक होल (Black Hole) की गुत्थी वैज्ञानिकों के लिए हमेशा से एक जरिया बना है ब्रमांड के कई रहस्यों को उजागर करने के लिए। वैज्ञानिक कहते है की ब्लैक होल हमारी आकाशगंगा के केंद्र में स्थापित है। इस ब्लैक होल का नाम है सैगिटेरियस ए* (Sagittarius A*)।

सैगिटेरियस ए* (Sagittarius A*) हमारी आकाश गंगा के केंद्र में मौजूद है। यूरोपियन साउदर्न ऑब्जरवेटरी (ESO) के वेरी लार्ज टेलिस्कोप इंटरफेरोमीटर (VLTI) की सहायता से इस ब्लैक होल की तस्वीर से हमारे आकाशगंगा के केंद्र की तस्वीर लेने के दौरान ही उन्हें ब्लैक होल दिखाई दिया। जो कुछ पल के लिए दिखाई देता फिर गायब हो जाता।

धरती को तबाह कर सकता है ब्लैक होल (Black Hole Can Destroy Earth):-

ब्लैक होल (Black Hole) धरती को तबाह कर सकता है। ब्लैक होल से गामा-रे बर्स्ट्स निकलते है। ये बीम बहिउट शक्तिशाली होती है ये किसी भी चीज़ को जला कर आगे निकल सकती है। ब्लैक होल (Black Hole) की डिस्क से ये बीम 90 डिग्री पर निकलती है। जब कोई दो सितारे का अस्तित्व समाप्त होता है या दो न्यूट्रॉन सितारों का आपस में टकराव होता है तब भारी मात्र में उर्जा निकलती है जो GRB (गामा-रे बर्स्ट्स) के रूप में घुमती है।

ख़ुशी की बात तो ये है की धरती के पास GRB (गामा-रे बर्स्ट्स) से बचने के लिए सुरक्षा कवच है। धरती के पास जो ओजोन परत है वो सूरज से निकलने वाले गामा किरणों को रोकती है। परन्तु एक शक्तिशाली GRB (गामा-रे बर्स्ट्स) अगर हमारे मिल्की वे गैलेक्सी में पैदा हुई तो वो इसे भी तबाह कर सकती है। ये किरणें इतनी शक्तिशाली होती हैं कि DNA तक को फाड़ सकती हैं और ऐटम्स से इलेक्ट्रॉन निकाल सकती हैं।

क्या ब्लैक होल पृथ्वी को नष्ट कर सकता है?(Can a Black Hole Destroy Earth?)

ब्लैक होल सितारों, चंद्रमाओं और ग्रहों को खाकर अंतरिक्ष में नहीं घूमते हैं। पृथ्वी ब्लैक होल में नहीं गिरेगी क्योंकि कोई भी ब्लैक होल सौर मंडल के इतना करीब नहीं है कि पृथ्वी ऐसा कर सके।

यहां तक ​​कि अगर एक ब्लैक होल सूर्य के समान द्रव्यमान को सूर्य के स्थान पर ले लेता है, तब भी पृथ्वी नहीं गिरेगी। ब्लैक होल में सूर्य के समान गुरुत्वाकर्षण होगा। पृथ्वी और अन्य ग्रह ब्लैक होल की परिक्रमा करेंगे क्योंकि वे अब सूर्य की परिक्रमा करते हैं।

सूरज कभी ब्लैक होल में नहीं बदलेगा। ब्लैक होल बनाने के लिए सूर्य इतना बड़ा तारा नहीं है।

ब्लैक होल की खोज वास्तव में किसने की थी?(Who really discovered black holes?)

ब्लैक होल क्या होता है ?(What is a Black Hole?)ब्लैक होल 2022 में पृथ्वी को नष्ट कर सकता है क्या?

एक ब्लैक होल का विचार इतना विशाल है कि प्रकाश भी नहीं बच सकता है, अंग्रेजी के अग्रणी  खगोलीय और पादरी जॉन मिशेल द्वारा नवंबर 1784 में प्रकाशित एक पत्र में संक्षेप में प्रस्तावित किया गया था। मिशेल की सरल गणना ने माना कि इस तरह के ब्लैक होल में सूर्य के समान घनत्व हो सकता है, और निष्कर्ष निकाला। यह तब बनता है जब किसी तारे का व्यास सूर्य के व्यास से 500 गुना अधिक हो जाता है, और इसकी सतह से बचने की गति प्रकाश की सामान्य गति से अधिक हो जाती है।

मिशेल ने इन पिंडों को काले तारे के रूप में संदर्भित किया। उन्होंने सही ढंग से नोट किया कि इस तरह के सुपरमैसिव लेकिन गैर-विकिरण वाले पिंडों को उनके पास के दृश्यमान पिंडों पर उनके गुरुत्वाकर्षण प्रभावों के माध्यम से पता लगाया जा सकता है, उस समय के विद्वान शुरू में इस प्रस्ताव से उत्साहित थे कि विशाल लेकिन अदृश्य ‘अंधेरे सितारे’ सादे दृश्य में छिपे हो सकते हैं, लेकिन उत्साह कम हो गया।

जब उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में प्रकाश की तरंग जैसी प्रकृति स्पष्ट हो गई, जैसे कि प्रकाश एक कण के बजाय एक लहर थी, यह स्पष्ट नहीं था कि प्रकाश तरंगों से बचने पर गुरुत्वाकर्षण का क्या प्रभाव होगा।

आधुनिक भौतिकी मिशेल की इस धारणा का खंडन करती है कि प्रकाश की किरण एक सुपरमैसिव तारे की सतह से सीधे ऊर्जा की एक किरण निकलती है, फिर तारे के गुरुत्वाकर्षण से धीमी  हो जाती  है, रुक जाती है, और फिर तारे की सतह पर वापस गिर जाती है।

ब्लैक होल का इतिहास क्या है?(What is the history of black holes?)

अल्बर्ट आइंस्टीन ने सबसे पहले 1916 में अपने सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत के साथ ब्लैक होल के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी। “ब्लैक होल” शब्द कई साल बाद 1967 में अमेरिकी खगोलशास्त्री जॉन व्हीलर द्वारा गढ़ा गया था।

एक शरीर का विचार इतना विशाल है कि प्रकाश भी नहीं बच सकता है, अंग्रेजी खगोलीय अग्रणी और पादरी जॉन मिशेल द्वारा नवंबर 1784 में प्रकाशित एक पत्र में संक्षेप में प्रस्तावित किया गया था। मिशेल की सरल गणना ने माना कि इस तरह के शरीर में सूर्य के समान घनत्व हो सकता है, और निष्कर्ष निकाला।

यह तब बनता है जब किसी तारे का व्यास सूर्य के व्यास से 500 गुना अधिक हो जाता है, और इसकी सतह से बचने की गति प्रकाश की सामान्य गति से अधिक हो जाती है। मिशेल ने इन पिंडों को काले तारे के रूप में संदर्भित किया।  उन्होंने सही ढंग से नोट किया कि इस तरह के सुपरमैसिव लेकिन गैर-विकिरण वाले पिंडों को उनके पास के दृश्यमान पिंडों पर उनके गुरुत्वाकर्षण प्रभावों के माध्यम से पहचाना जा सकता है।

उस समय के विद्वान शुरू में इस प्रस्ताव से उत्साहित थे कि विशाल लेकिन अदृश्य ‘अंधेरे सितारे’ सादे दृश्य में छिपे हो सकते हैं, लेकिन जब उन्नीसवीं शताब्दी की शुरुआत में प्रकाश की तरंग जैसी प्रकृति स्पष्ट हो गई, तो उत्साह कम हो गया,जैसे कि प्रकाश एक था।

एक कण के बजाय तरंग, यह स्पष्ट नहीं था कि, यदि कोई हो, प्रकाश तरंगों से बचने पर गुरुत्वाकर्षण का क्या प्रभाव पड़ेगा. आधुनिक भौतिकी मिशेल की इस धारणा का खंडन करती है कि प्रकाश की किरण एक सुपरमैसिव तारे की सतह से सीधे गोली मारती है, तारे के गुरुत्वाकर्षण से धीमा हो जाता है, रुक जाता है, और फिर तारे की सतह पर वापस गिर जाता है।

यह भी पढ़े – Top Upcoming Mobile Phones 2022 || Best Android Phone || Latest Mobile Phone

 

Related post

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *